स्कूल तो खुल गई हैं लेकिन किताबों व ड्रेसों का कहीं अता-पता नहीं है. ये खबर पिछले एक पखवाडे से रोज़ किसी न किसी अख़बार में लग रही है.
नवदुनिया अखबार की आज की पहली सुर्खी में लिखा है की इस बार शासन मेले लगाकर स्कूल ड्रेस बंटेगी. इसी विषय पर दैनिक आचरण ने भी खबर लगाकार चिंता जताई है की बिना किताबों के शिक्षक कैसे पढाई शुरू करा पाएंगे.
वहीँ राज एक्सप्रेस की पहली खबर उन लोगों को तसल्ली देने वाली है जिनकी रकम पिछले दो साल से सहकारी बैंक के लेनदेन पर रिजर्व बैंक द्वारा रोक लगा देने की वज़ह से बैंक में फंसी हुई है.अख़बार ने बैंक मेनेजर के हवाले से लिखा है की बैंक ने अपनी सुधरती माली हालत को देखकर नाबार्ड बैंक से अनुमति मांगी है की उसे फिर से सामान्य ढंग से लेनदेन शुरू करने दिया जय.
वैसे तो ट्रकों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल व अमरनाथ श्रीन बोर्ड से जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा जमीन वापस लेने के विवाद को सभी अख़बारों ने मुख्य प्रष्ट पर जगह दी है.
लेकिन दैनिक भास्कर ने हड़ताल की खबर को अपने सागर संस्करण के फ्रंट पेज पर जगह दी है. अख़बार लिखता है की त्रोंस्पोर्तार्स की हड़ताल से देश भर में ५० लाख व प्रदेश में २ लाख ट्रकों के थमने से कारोबारियों को करीब १५०० करोड़ रुपये रोज़ का नुक्सान होगा.
Thursday, July 3, 2008
आज भी सुर्खियों मैं है हड़ताल..
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