एक बार फ़िर अख़बारों की सुर्खियाँ हड़ताल की ख़बरों से लबरेज़ हो गईं हैं. हालाँकि स्कूलों व किसानों को शासकीय दस्तावेजों को देने मैं हो रही हेर फेर की बढती घटनाओं से जुड़ी खबरें भी अख़बारों मैं काफ़ी जगह घेर रही हैं. लेकिन मंगलवार से शुरू हुई स्वास्थ्यकर्मियों की प्रदेशव्यापी हड़ताल से मरीजों की बदती मुश्किलों से जुड़ी ख़बरों को लगभग सभी अख़बारों ने आज अपनी पहली सुर्खी बनाया है.
दैनिक जागरण ने "शुरू हुई हड़ताल मरीज हुए बेहाल" शीर्षक से बैनर ख़बर लगाई है. अख़बार लिखता है की वर्ष १९९६ की ब्रम्हस्वरूप समिति की सिफारिशों के आधार पर १९ सूत्रिये मांगों को लेकर स्वाथ्य कर्मियों के बेमियादी हड़ताल पर जाने से अस्पतालों की व्यवस्थाएँ बुरी तरह चरमरा गईं हैं. राज एक्सप्रेस ने लिखा है की जिले के करीब ढाई हज़ार स्वस्थ्य कर्मियों के हड़ताल पर जाने से आने वाले दिनों मैं लोगों की मुश्किलें का बढ़ना तय है.
वहीँ दैनिक आचरण ने हड़ताल के बुरे नतीजों का खुलासा पहले ही दिन "लाश रखी रही नहीं हुआ पोस्टमार्टम " शीर्षक से ख़बर लगाकर कर किया है. नवदुनिया ने भी हड़ताल से बेहाल मरीज हेडिंग से लगाई ख़बर मैं मरीजों की बदहाली व प्रशिक्षुओं द्वारा स्वास्थय सेवाओ की लगाम थामने की बात कही है.
लेकिन नवभारत ने सार्वजानिक वितरण प्रणाली की खामियों का खुलासा करने वाली,सरकारी प्रेस विज्ञप्ति " ७ सहकारी समितियों के प्रबंधकों की वेतन वृद्धि रोके जाने", को अपनी पहली ख़बर के रूप मैं छापा है. अख़बार ने जिला कलेक्टर के हवाले से लिखा है की शहरों की राशन की दुकानों को १५ से २० तारीख तक खाद्यानों का उठाव करना होगा व २० तारीख के बाद भी उन्हें खोले रखना होगा. दैनिक आचरण ने शहर मैं अधूरी बनी पुलियों व बिजली की हो रही अघोषित कटौती की वज़ह से आम जनता को हो रही मुश्किलों की ख़बर को फ्रंट पेज पर जगह दी है.
शिक्षा क्षैत्र की बदहाली को उजागर करने वालीं ख़बरों को दैनिक जागरण ने फ्रंट पेज पर जगह दी है. अख़बार ने "विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़" व "फर्जी प्रमाण पत्रों पर चल रहे हैं कालेजों मैं पाठ्यक्रम" शीर्षकों से लगायीं दो ख़बरों मैं लिखा है की जहाँ एक तरफ़ शिक्षा विभाग द्वारा ग्रामीण शेत्रों का दौरा शरू नही किए जाने की वज़ह से गांवों के स्कूलों मैं बदहाली का आलम हैं वहां, किताबें, कॉपियाँ व ड्रेस ही नही शिक्षक भी नदारद हैं, वहीँ दूसरी तरफ़ फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पाठ्यक्रम चलाकर कालेज विद्यार्थियों को खुले आम बेफकूफ बना रहे हैं और प्रशासन हाथ पर हाँथ धरे बैठा है.
दैनिक भास्कर ने भी सागर नगर निगम के ढीली ढाली कार्य प्रणाली पर अपनी ख़बर "जर्जर भवन गिराने टेंडर बुलाएँगे" मैं लिखा की हाल ही मैं एक जर्जर भवन के गिरने से एक युवक की मौत हो गए थी लेकिन निगम अभी भी सुस्त चाल से कार्यवाही कर रहा है. शहर मैं ऐसे कई जर्जर मकान हैं जिनकी निगम को जानकारी भी नही हैं.
नवदुनिया ने अपनी बोटम की ख़बर से प्रशासन व सरकार के नुमाइंदों की नाक के नीचे बाल श्रमिकों के काम करने की खामी को उजागर किया है. "बंद हैं सबकी आँखें" हेडिंग से लगाई ख़बर के जरिये सवाल उठाया है है की आखिर क्यों सरकार, श्रम विभाग, समाज सेवी संगठनों व जनप्रतिनिधियों को ये बाल श्रमिक काम करते हुए नज़र नहीं आते?
Wednesday, July 9, 2008
हड़ताल से अस्पताल व प्रशासनिक उपेक्षा से स्कूल हैं बदहाल .
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