Friday, July 11, 2008

आज सुर्खियाँ उफनती रहीं बाढ़ की ख़बरों से ...

झमाझम बारिश ने लोगों का जीना तो मुहाल किया ही है साथ ही हड़ताल की खबरों को भी सुर्खियों के गलियारे से बहा कर किनारे लगा दिया है. आज सभी अख़बारों की सुर्खियाँ बाढ़ की ख़बरों से उफनती रहीं हैं.
रहली की सुनार नदी की बाढ़ की ख़बर को नवदुनिया ने अपने पहली सुर्खी बनाया है. अख़बार ने अपने रहली संवाददाता के हवाले से लिखा है की सुनार नदी की बाढ़ की सूचना प्रशासन ने किसी को नही दी, न ही राहत कार्य व विस्थापितों का सहयोग किया. लोगों ने ही एक दूसरे की मदद कर सबको सुरक्षित स्थानों पर पंहुचाया. नदी किनारे के करीब ५० गावों पानी से घिर गए हैं.
दैनिक भास्कर ने "मंत्री का गृहनगर गढ़कोता बना टापू" शीर्षक से लगाई ख़बर मैं लिखा है की पिछले २४ घंटों की भारी बारिश के चलते सुनार, गधेरी, कोपरा व चौंरी नदियों के उफान पर आने से इनके किनारे बसे दर्जनों गावं बुरी तरह पानी से घिर गए व शहर का संपर्क सागर व जबलपुर से कई घंटों तक टूटा रहा.
वर्षों तक प्यास से जूझने वाले सागर का गला तर करने वाले राजघाट बाँध के तीन साल बाद उफान पर आने की ख़बर को भी सभी अख़बारों ने ख़ास तवज्जो दी है.
११ जुलाई पूरी दुनिया जनसँख्या दिवस के रूप मैं मनाती है इस मौके पर लगभग सभी अख़बारों ने ख़ास खबरें लगायीं हैं. दैनिक आचरण ने बढती जनसँख्या से सिकुड़ रहा है शहर शीर्षक से ख़बर लगाकर आबादी के बढ़ने से बुनियादी सुविधाओं पर पड़ते दवाब की ओर जनता व प्रशासन का ध्यान खींचने के कोशिश की है.
मौजूदा घटनाक्रम से हटकर दैनिक आचरण ने जिले मैं प्रौढ़ शिक्षा केन्द्रों के फ़िर से शुरू होने की ख़बर छापी है. अखबार ने जिला शिक्षा अधिकारी के हवाले से लिखा है की प्रौढ़ शिक्षा को बढावा देने के लिए सरकार हर विकास खंड को ९ हज़ार रुपये की राशि देगी. फिलहाल जिले मैं ब्लाक स्तर पर १७२० केन्द्र चल रहे हैं. जबकि राज एक्सप्रेस ने पिछड़ा वर्ग के साथ बीते पाँच सालों से हो रहे अन्याय का खुलासा करने वाली ख़बर लगाई है. अख़बार लिखता है के सन २००३, २६ सितम्बर को प्रकाशित राजपत्र मैं पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों को स्कूलों में अनुसूचित जाती व अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के समान फीस व अन्य शुल्कों की माफ़ी की सुविधा दी जानी थी लेकिन पाँच साल से पिछडे वर्ग के विद्यार्थियों को इस सुविधा से वंचित रखा जा रहा है.

1 comment:

  1. 3-aaj ki khabar hai ki arushi ke pita dr.rajesh talwar ki jamanat ho gai hai , lekin kisi ne ye nahin socha ki agar dr. talwar ke bekasoor sabit hone par unhone jo ab tak saja bhugati hai uske liye kaun jimmedaar hota hai.kya unhe unke itne dino ki sajaa ka koi maavja police,kanoon ya sarkar degi.
    samaj me kisi ki hattya ho jana police,kanoon aur sarkar ki kamjori sabit karta hai.

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