Thursday, September 18, 2008

नक्कारखाने मे बजेगी अनुशासन की तूती...

सागर विश्वविद्यालय एक समय शिक्षा के आला केन्द्र के रूप मे दुनिया भर मे मशहूर था। लेकिन अब यहां के हालात काफी बदले हुए हैं। रोज ही किसी न किसी मामले को लेकर विद्यार्थियों व विवि प्रशासन के बीच मे टकराव होते हैं। भ्रष्टाचार करने के मामले मे विवि शहर ही नहीं देश के किसी भी विभाग को पछाड़ने में सक्षम नजर आने लगा है।
जहां तक अनुशासन की बात है तो अनुशासन नाम की चिड़िया का इस विवि से आशियाना उजड़े दशक बीत चुके हैं। अब वह चिड़िया विवि का फेरा नहीं लगाती क्योंकि जिनको अनुशासन सीखना था व जिन पर अनुशासन सिखाने की जिम्मेदारी थी दोनों ही पक्षों ने इस चिड़िया को दाना चुगाने मे कोई रूचि नहीं दिखाई।
नए कुलपति नई उर्जा व सपनों के साथ सागर विवि मे आए हैं। हालांकि यहां आते ही उन्हें अहसास हो गया कि विवि मे सबसे ज्यादा कमी अगर किसी बात की है तो वह है अनुशासन। सो उन्होने पत्रकारों से पहली मुलाकात मे ही विवि मे शैक्षणिक अनुशासन स्थापित करने को अपनी पहली प्राथमिकता बताया। लेकिन उन्हें शायद इस बात का अंदाजा नहीं था कि इस दिशा मे महज पहला कदम बढ़ाते ही उनका टकराव, अनुशासन को ताक पर रखकर बेजा लाभ उठाने वाले शिक्षकों, कर्मचारियों व छात्रों के गिरोह से हो जाएगा।
कुलपति ने सागर विश्वविद्यालय को उसके पुराने गौरव को लौटाने की ईच्छा भी जताई है। इसमें कोई दोराह नहीं है कि इस मुद्दे पर वो इस पूरे शहर को अपने साथ पाएंगें। लेकिन वो अपने ईरादे मे तब तक सफल नहीं हो पाएंगे जब तक कि वो उन बहूरूपियों को चिन्हित नहीं कर लेते जो छात्रों, शिक्षकों व विवि के हितों के पैरोकार बनकर हमेशा से कुलपतियों को गुमराह करते आए हैं।

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