क्षमावाणी जैन धर्म का एक ऐसा पर्व है जिस पर समूचा भारत गर्व करता है। इस पर्व पर लोग साल भर जाने-अनजाने मे हुईं गल्तियों के लिए अपने ईष्ट मित्रों से बिना शर्त क्षमा मांगते है। जिससे दिलों मे किसी भी तरह के गिले-शिकवे न रह जाएं और मन शुद्ध हो जाए। लेकिन इस पर्व के बहाने सागर के एक औषधी संघ ने एक अलग ही परंपरा चलाई है।
शहर के नवगठित जिला औषधी संघ ने क्षमावाणी का आयोजन कर अपनों से गिले शिकवे भुलाने की जगह अपने प्रतिद्वंदी संघ की जमकर आलोचना की साथ ही उसे दलाल भी बताया। लेकिन उनका मन इतने से ही नहीं भरा । उन्होने अपनी इस भड़ास को किसी बंद कमरे मे नहीं निकाला बल्कि बाकायदा एक प्रेस कांफ्रंस आयोजित कर इसे आम जन तक पहुचा दिया।
यह विचार का विषय है कि आखिर ऐसी क्या वजह थी जो इस संघ ने क्षमावाणी आयोजन पर अपने प्रतिद्वंदी गुट को क्षमा कर एक नजीर पेश करने की जगह दलाल और भ्रष्ट कहकर जनता तक क्षमावाणी पर्व की एक नई परिभाषा देने की कोशिश की है।
शहर के नवगठित जिला औषधी संघ ने क्षमावाणी का आयोजन कर अपनों से गिले शिकवे भुलाने की जगह अपने प्रतिद्वंदी संघ की जमकर आलोचना की साथ ही उसे दलाल भी बताया। लेकिन उनका मन इतने से ही नहीं भरा । उन्होने अपनी इस भड़ास को किसी बंद कमरे मे नहीं निकाला बल्कि बाकायदा एक प्रेस कांफ्रंस आयोजित कर इसे आम जन तक पहुचा दिया।
यह विचार का विषय है कि आखिर ऐसी क्या वजह थी जो इस संघ ने क्षमावाणी आयोजन पर अपने प्रतिद्वंदी गुट को क्षमा कर एक नजीर पेश करने की जगह दलाल और भ्रष्ट कहकर जनता तक क्षमावाणी पर्व की एक नई परिभाषा देने की कोशिश की है।
सवाल यह भी नहीं है कि यह संगठन किसी की बुराई नहीं कर सकता और न ही यह कि जिसकी वो बुराई कर रहे हैं वो पाक साफ है बल्कि सवाल यह है कि इस काम के लिए क्षमावाणी जैसे पर्व को ही क्यों निशाना बनाया गया। बुराई करना ही थी तो उस आयोजन को क्षमावाणी पर्व का नाम क्यों दिया गया? क्या विरोधी की बुराई किए बिना सुधार की बात नहीं की जा सकती है?
क्या समाज के सुधिजनों का यह कर्तव्य नहीं बनता है कि निजी स्वार्थों को साधने के लिए गौरवशाली धार्मिक व सामाजिक परंपराओं व पर्वों को ढाल बनाकर प्रयोग करने वालों के खिलाफ आवाज उठाई जाए?
क्या समाज के सुधिजनों का यह कर्तव्य नहीं बनता है कि निजी स्वार्थों को साधने के लिए गौरवशाली धार्मिक व सामाजिक परंपराओं व पर्वों को ढाल बनाकर प्रयोग करने वालों के खिलाफ आवाज उठाई जाए?

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