बीना मे हुए सांसद पिटाई मामले के बाद पास की ही खुरई तहसील आज अखबारों की सुर्खियों मे छाई रही। वहीं शनिवार की रात हुए एक आपसी विवाद के चलते शहर के सांप्रदायिक सद्भाव के बिगड़ने के हालात बन गए थे। जिसे पुलिस और प्रशासन द्वारा समय रहते काबू मे कर लेने के समाचारों को अखबारों ने प्रमुखता से छापा है।
दैनिक जागरण ने तेजी से पैर पसारते मलेरिया से निपटने के लिए जिले मे किए जा रहे उपायों पर केन्द्रित एक खबर लगाई है।' मच्छरों को रोकने की शक्ति है इच्छाशक्ति नहीं' शीर्षक से पहली लीड बनाई। खबर मे अखबार ने लिखा है कि नगर निगम को ननि के अधिनियम के तहत मलेरिया रोकने के लिए प्राप्त उपविधियों को आठ साल बाद फरवरी मे 2007 मे अंगीकार किया और अब तक इनके तहत मलेरिया के फैलाव रोकने मे बाधक बनने वालों मे से किसी के खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही नही करने का खुलासा किया है।
वहीं राज एक्सप्रेस ने एक अक्टूबर से इण्डस बाल श्रम उन्नमूलन परियोजना के बंद होने से करीब एक दर्जन सामुदायिक कार्यकताओं के बेरोजगार हो जाने का मुद्दा उठाया है। अखबार ने जिला प्रशासन के नुमाइंदगों के हवाले से इनके राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना मे इन कार्यकर्ताओं को समाहित किए जाने की संभावना बताई है।
खुरई तहसील मे शनिवार की रात को दो गुटों के बीच हुए झगड़े मे पंडाल मे विराजमान दुर्गाजी की प्रतिमा के खंडित हो जाने से शहर में सांप्रदायिक सदभाव बिगड़ने के असार बनने व समय रहते पुलिस द्वारा की गई कार्यवाही से हालातों के सामन्य होने की खबरों को सभी अखबारों ने फ्रंट पेज पर छापा है। इस खबर को राज एक्सप्रेस ने 'खुरई मे तनाव लाठी चार्ज', दैनिक भास्कर ने ' आपसी विवाद ने लिख उपद्रव का रूप' व नवदुनिया ने ' खुरई में तनाव' शीर्षक से छापा है।
कार्यकर्ताओं से रायशुमारी करने सागर आए भाजपा के पर्यवेक्षकों समक्ष एक दर्जन से ज्यादा नेताओं ने विधायक के टिकिट के लिए अपनी दावेदारी पेश करने व इस दौरान पार्टी कार्यकताओं व पदाधिकारियों के बीच चली गहमागहमी की खबरों को भी सभी अखबारों ने खूब चटखारे ले के छापा है।
इसके अलावा लीक से हटकर खबरों मे नवदुनिया ने 'कौमी एकता की मिसाल है शहर' शीर्षक से लगाई खबर मे सागर को गंगा-जमुनी तहजीब का टापू बताया है। पत्रकार आशीष शुक्ला ने अपनी इस खबर मे शहर के बीचों बीच स्थित करीब डेढ़ सौ साल पुरानी कटरा मस्जिद को इस सांस्क़तिक संगम का केन्द्र बताया है। अखबार ने एक बार फिर कछुआ चाल से बन रहे सागर के मेडिकल कॉलेज पर लगाई खबर मे बताया है कि कॉजेल के निर्माण कार्य को सरिया के बढ़ते दामों ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। वर्तमान मे बिल्डर को 15 हजार रूपए प्रति टन से ज्यादा का घाटा झेलना पड़ रहा है।
दैनिक जागरण ने तेजी से पैर पसारते मलेरिया से निपटने के लिए जिले मे किए जा रहे उपायों पर केन्द्रित एक खबर लगाई है।' मच्छरों को रोकने की शक्ति है इच्छाशक्ति नहीं' शीर्षक से पहली लीड बनाई। खबर मे अखबार ने लिखा है कि नगर निगम को ननि के अधिनियम के तहत मलेरिया रोकने के लिए प्राप्त उपविधियों को आठ साल बाद फरवरी मे 2007 मे अंगीकार किया और अब तक इनके तहत मलेरिया के फैलाव रोकने मे बाधक बनने वालों मे से किसी के खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही नही करने का खुलासा किया है।
वहीं राज एक्सप्रेस ने एक अक्टूबर से इण्डस बाल श्रम उन्नमूलन परियोजना के बंद होने से करीब एक दर्जन सामुदायिक कार्यकताओं के बेरोजगार हो जाने का मुद्दा उठाया है। अखबार ने जिला प्रशासन के नुमाइंदगों के हवाले से इनके राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना मे इन कार्यकर्ताओं को समाहित किए जाने की संभावना बताई है।
खुरई तहसील मे शनिवार की रात को दो गुटों के बीच हुए झगड़े मे पंडाल मे विराजमान दुर्गाजी की प्रतिमा के खंडित हो जाने से शहर में सांप्रदायिक सदभाव बिगड़ने के असार बनने व समय रहते पुलिस द्वारा की गई कार्यवाही से हालातों के सामन्य होने की खबरों को सभी अखबारों ने फ्रंट पेज पर छापा है। इस खबर को राज एक्सप्रेस ने 'खुरई मे तनाव लाठी चार्ज', दैनिक भास्कर ने ' आपसी विवाद ने लिख उपद्रव का रूप' व नवदुनिया ने ' खुरई में तनाव' शीर्षक से छापा है।
कार्यकर्ताओं से रायशुमारी करने सागर आए भाजपा के पर्यवेक्षकों समक्ष एक दर्जन से ज्यादा नेताओं ने विधायक के टिकिट के लिए अपनी दावेदारी पेश करने व इस दौरान पार्टी कार्यकताओं व पदाधिकारियों के बीच चली गहमागहमी की खबरों को भी सभी अखबारों ने खूब चटखारे ले के छापा है।
इसके अलावा लीक से हटकर खबरों मे नवदुनिया ने 'कौमी एकता की मिसाल है शहर' शीर्षक से लगाई खबर मे सागर को गंगा-जमुनी तहजीब का टापू बताया है। पत्रकार आशीष शुक्ला ने अपनी इस खबर मे शहर के बीचों बीच स्थित करीब डेढ़ सौ साल पुरानी कटरा मस्जिद को इस सांस्क़तिक संगम का केन्द्र बताया है। अखबार ने एक बार फिर कछुआ चाल से बन रहे सागर के मेडिकल कॉलेज पर लगाई खबर मे बताया है कि कॉजेल के निर्माण कार्य को सरिया के बढ़ते दामों ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। वर्तमान मे बिल्डर को 15 हजार रूपए प्रति टन से ज्यादा का घाटा झेलना पड़ रहा है।
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