प्रदेश के छोटे एवं मझोले 37 शहरों में गरीबों के लिए एकीकृत आवास एवं मलिन बस्ती विकास योजना की गति से नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री बाबूलाल गौर नाखुश है। उन्होंने सोमवार को राज्य शहरी विकास अभिकरण की समीक्षा की। इस दौरान श्री गौर ने नगरीय निकायों के व्यय पर निगरानी रखने और गड़बड़िया रोकने के लिए प्रदेश स्तर पर सतर्कता दस्ता गठित करने के लिए कहा। इसके अलावा उन्होंने राज्य शहरी विकास अभिकरण को सक्षम बनाकर उसका कंपनी एक्ट के तहत पंजीयन कराने के निर्देश भी दिए।
बैठक में प्रमुख सचिव राघव चंद्रा ने जानकारी दी कि छोटे एवं मझोले आकार के 37 शहरों में एकीकृत आवास एवं मलिन बस्ती योजना लागू है। जिसके तहत इन शहरों में गरीब परिवारों के लिए 225 वर्ग फीट आकार के 18503 मकान बनाकर दिए जाएंगे। इसके लिए 270.36 करोड़ रुपए की राशि खर्च होगी। भारत सरकार ने इस साल अप्रैल में प्रति मकान की लागत एक लाख तय की है।
पूर्व में यह लागत 80 हजार प्रति मकान थी। इतनी कम लागत में इस आकार का गुणवत्तापूर्व मकान बनाने में व्यवहारिक कठिनाईयां सामने आई है। ठेकेदारों ने प्रति मकान 1.50 से दो लाख रुपए की निविदाएं दी है। श्री गौर ने कहा कि मकान निर्माण लागत बढ़ाने के लिए वे भारत सरकार के शहरी विकास मंत्री को पत्र लिखने के बाद आवश्यक होने पर उनसे चर्चा करेंगे। श्री गौर ने समीक्षा के दौरान इस बात पर नाराजगी जताई कि योजना के तहत जिन नगरों का चयन हुआ है उन जिलों के कलेक्टरों ने हितग्राहियों की सूची का दो साल बाद भी प्रकाशन नहीं किया।
यह योजना भोपाल, विदिशा राजगढ़, ग्वालियर, जबलपुर, इंदौर, दमोह, बालाघाट, कटनी, खंडवा, देवास, बड़वानी, झाबुआ, होशंगाबाद, रायसेन, टीकमगढ़, बुरहानपुर, रतलाम तथा छिंदवाड़ा जिले की 37 नगर पालिका एवं नगर पंचायतों में लागू है। जहां योजना के तहत 60 में से 24 मकान बनकर तैयार हैं। जबकि 37 में से 12 नगरीय निकायों में निर्माणाधीन मकानों की संख्या 18503 के लक्ष्य के विरुद्ध केवल 756 है। योजना के लिए चयनित 22 जिलों में से केवल चार जिलों में सूची का प्रथम प्रकाशन हो सका है। नगरीय प्रशासन मंत्री ने इस स्थिति को निराशाजनक बताते हुए कहा कि इससे योजना का उद्देश्य ही नहीं बचेगा।
Wednesday, June 17, 2009
सतर्कता दस्ता कसेगा नकेल नगरीय निकायों की..
सतर्कता दस्ता गठित करने के पीछे श्री गौर ने अपनी मंशा को बताया कि इससे नगरीय निकायों में मनमानी दरों पर खरीदी की संभावनाओं और शिकायतों पर अंकुश लग सकेगा। इसके अलावा उन्होंने विभाग के संभागीय कार्यालयों में पदस्थ उप संचालकों और शिकायतों पर अंकुश लग सकेगा। इसके अलावा उन्होंने विभाग के संभागीय कार्यालयों में पदस्थ उप संचालकों को प्रशासकीय, वित्तीय तथा नगरीय निकायों के निरीक्षण के अधिकार देने के भी निर्देश दिए ताकि उन पर सक्षम नियंत्रण रखा जा सके। उन्होंने कहा कि नगरीय निकायों में मुख्य कार्यपालिक अधिकारी के रूप में योग्य, सक्षम तथा पात्र अधिकारियों अधिकारियों को ही रखा जाए ताकि वे अपेक्षा के अनुरूप प्रदर्शन कर सकें।
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