मप्र की दूसरी व सागर की पहली किन्नर महापौर के खिलाफ शपथपत्र मे घोषित जाति के मुद्दे को लेकर कानूनी घेरे मे लेने की कवायद तेज होती जा रही है। नतीजों की घोषणा के साथ ही कई राजनैतिक दल इस मुद्दों पर सबूत इकठ्ठा करते नजर आ रहे हैं। लेकिन शुक्रवार को जिला अदालत मे याचिका दायर होते ही यह मामला सुर्खियों मे आ गया हैं ।
नगरीय निकाय चुनाव २००९ मे सागर महापौर पद पर जनता ने निर्दलीय प्रत्याशी किन्नर कमला बुआ को भारी मतों से जिताया। इस जंग मे मिली करारी हार से तिलमलाए पराजित गुट व राजनैतिक दल खासकर भाजपा व कांग्रेस नतीजों की घोषणा के बाद से ही कमला बुआ को किसी न किसी मुद्दे पर घेरने की कवायद मे लग गए थे।इस पूरी कवायद मे लगे कमोबेश सभी घटकों ने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप मे यह स्वीकारा है कि दस साल पहले कटनी मे महापौर का चुनाव जीते देश के पहले किन्नर महापौर बने कमला जान के साथ जो कुछ भी हुआ वही सागर की पहले महापौर कमला बुआ के साथ भी होने की उम्मीद है हालांकि यहां मुद्दा किन्नर की जाति है न कि लिंग ।
लेकिन इस कवायद मे बाजी मारते हुए बुरहानपुर के नगर निगम आयुक्त रह चुके महेंन्द्र राय ने शुक्रवार को जिला सत्र न्यायालय में एक याचिका दर कर सागर के नवनिर्वाचित महापौर के निर्वाचन को चुनौती दी है।
कृष्णगंज वार्ड निवासी याचिकाकर्ता ने अपनी वकील के के सिलाकारी के माध्यम से दायर की गई चार पेज की याचिका मे आरोप लगाए हैं कि महापौर कमला बुआ अनूसूचित जाति वर्ग की नहीं है और न ही नामनिर्देशन पत्र में उन्होंने इस सबंध मे कोई पुखता प्रमाण पत्र संलग्न किए है।
हाल ही में राष्ट्रीय जन न्याय दल ने भी इसी मुद्दे को पत्रकार वार्ता के माध्यम से उठाया। दल की ओर से कमला बुआ के नामनिर्देशन व घोषणा पत्र की सत्यापित प्रतिलिपियां प्रेस को उपलब्ध कराईं गई। जिसमें जाति के कॉलम मे जाति विहीन लिखा गया व उसे काट कर ''कोरी'' लिखा गया।
इस मुद्दे पर जन न्याय दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता ब्रजबिहारी चौरसिया ने भाषा को बताया कि तकनीकि गलती से उनका नामांकन पत्र स्वीकार हो गया है। जबकि वे अनुसूचित जाति वर्ग की नहीं है। लेकिन जन न्याय दल जनमत का सम्मान करता है इस लिए इस मामले को न्यायालय मे नहीं ले जाएगा।
लेकिन इस सारी उठा-पटक के बीच भाजपा शांत बैठी नजर नहीं आ रही है। हाल ही में सागर मे आयोजित हुई नगरीय निकाय चुनाव के नतीजों की समीक्षा बैठक मे पार्टी के प्रदेश स्तरीय नेताओं ने सागर के महापौर को निशाना बनाते हुए अप्रत्यक्ष रूप से एक और चुनाव के लिए तैयार रहने के लिए कहा है। सूत्रों के मुताबिक बैठक मे पार्टी के एक संगठन पदाधिकारी ने पार्टी कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि जल्द ही एक और महापौर भाजपा के पाले मे होगा।
इस सारे मुद्दें पर कमला बुआ का खेमा की चुप्पी विरोधियों के हौसले बढ ाती नजर आ रही है। इन आरोपों के बचाव के सिलसिले में कमला बुआ ने भाषा को बताया कि आरोप उन्होने नहीं लगाए हैं। जिन्होने आरोप लगाए हैं वे ही इन्हें सही सबित करें।
हालांकि महापौर के खिलाफ कई गुटों व राजनैतिक दलों के लामबंद होने के दौर के बीच मे कुछ दल महापौर के पक्ष में भी उतर आए हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने नगरीय निकाय चुनावों के प्रचार के दौरान व महापौर चुने जाने के बाद तक कमला बुआ के खिलाफ उनके किन्नर होने के मुद्दे पर अनर्गल प्रचार से कानूनी तौर पर निपटने की जिम्मेदारी लेने की बात कही है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस की मप्र की अध्यक्ष चंदना अरोड़ा ने ''भाषा'' को बताया कि लिंग के आधार पर कमला बुआ के खिलाफ चुनाव के पहले व बाद मे चलाया गया अनर्गल प्रचार मानव अधिकारों का उल्लंघन हैं। इसस मुद्दे पर राष्ट्रवादी कांग्रेस उनके ओर से कानूनी लड ाई लड ेगी।
गौरतलब है हाल ही में संपन्न हुए नगरीय निकाय चुनाव २००९ में सागर के महापौर पद के निर्दलीय प्रत्याशी किन्नर कमला बुआ के पक्ष में ६५ फीसदी मतदाताओं ने वोट डाले जबकि अन्य पांच प्रत्याशियों को महज ३५ फीसदी ही मत मिले। कमला बुआ ने अपने निकटतम प्रत्याशी भाजपा की सुमन अहिरवार को ४३ हजार ४३३ मतों से हराया है। इस चुनावी जंग मे कांग्रेस की जमानत जब्त हो गई जबकि भाजपा मुश्किल से ही अपनी जमानत बचा पायी।
किन्नर महापौर के खिलाफ गोलबंद हो रहे दलों व गुट अंदर ही अंदर जितने सक्रिय है खुलकर सामने आने मे उतने ही घबरा रहे हैं। उन्हें यह भय सता रहा है कि अगर हालात कमला बुआ के खिलाफ बने तो जनता इस खेल मे शामिल मे लोगों को भी सबक सिखा सकती है।
बहरहाल इस सारे घटनाक्रम का जो भी नतीजा रहे पर इतना तो तय है कि कमला बुआ की जीत के रूप मे सामने आए जनमत के तेवर को देखकर खुद को राजनीति का तीसमार खां समझने दलों के भी दिल दहलें हुऐं लग रहें हैं।
बहरहाल इस सारे घटनाक्रम का जो भी नतीजा रहे पर इतना तो तय है कि कमला बुआ की जीत के रूप मे सामने आए जनमत के तेवर को देखकर खुद को राजनीति का तीसमार खां समझने दलों के भी दिल दहलें हुऐं लग रहें हैं।
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