आज कल सबसे ज्यादा पूछ परख मानसून की हो रही है। कोई बारिश के सिलसिले मे इसकी बात करता है तो कोई संसद के मानसूनी सत्र के सिलसिले मे। लेकिन दोनों ही नजरिए से यह काफी अनिश्चितताओं से भरा है। जैसे पानी कभी भी बरस सकता है वैसे ही सरकार भी कभी भी गिर सकती है। आजकल अखबारों की सुर्खियां बहुत हद तक इसी उहापोह को बयां कर रहीं हैं।
केन्द्र मे सरकार गिरने की हालात मे संभावित चुनावों को देखते हुए भाजपा ने अपने सबसे उपेक्षित धडे की सुध लेना शुरू कर दिया है। इसी सिलसिले मे सागर मे ही आयोजित सागर विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण कार्यक्रम की सबसे खास बात कार्यकर्ताओं द्वारा बगावती तेवर दिखाना ही रही। इसीलिए यह खबर भी लगभग सभी अखबारों के फ्रंट पेज पर छाई रही।
दैनिक जागरण ने 'गुटबाजी का अखाडा बना रहा भाजपा का कार्यकर्ता सम्मेलन' शीर्षक से लगाई खबर मे लिखा है कि सागर के विधायक को फिर से टिकिट नहीं दिए जाने की मांग की पर्ची के आयोजन स्थल पर फेरा लगाने से पार्टी में अंदरूनी स्तर पर ही माहौल काफी गरमा गया है। जबकि दैनिक आचरण ने भी कार्यकर्ताओं के बगावती तेवरों को ही अपनी खबर का मुख्य विषय बनाया है।
वहीं नवदुनिया ने इसी संबंध मे ' विधायक को घेरने की कोशिश' हेडिंग से लगाई खबर मे सागर की विधायक सुधा जैने के हवाले से लिखा है कि पर्ची बांटने का काम किसी शरारती तत्व का है। दैनिक भास्कर ने भी भाजपा कार्यकर्ता सम्मेलन के बारे मे लिखा है कि कार्यकर्ताओं को रिझाने के लिए की गई पार्टी की कवायद कार्यकर्ताओं के पांच साल की उपेक्षा से उपजी नाराजगी का शिकार हो गई है।
इसी मौके पर हुई पत्रकारवार्ता मे विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी व भाजपा के पूर्व सांसद कैलाश सारंग ने शिवराज सरकार की तारीफ करते हुए उसके दोबारा सत्ता मे आने की बात कही। दैनिक जागरण ने भाजश के मामले मे कैलाश सांरग की टिप्पणी की 'उमा रूपी गुब्बारे की हवा निकल गई है' को बडी प्रमुख्ता से छापा है। इसी सिलसिले मे उन्होनें कहा कि मुख्य लडाई भाजपा व कांग्रेंस के बीच है। भाजश की चुनौती को उन्होने एक शेर के जरिए व्यक्त किया कि' हाथी की दुम का पर्दा हटाया तो चिंदी लटकती मिली'।
राजनीति के मानसून के साथ साथ असल मानसून को तवज्जो देते हुए नवदुनिया ने'40 फीसदी कम हुई बोवनी' शीर्षक से पहली खबर लगाकर अधिक वर्षा से बुवाई नहीं कर पाने की किसानों की व्यथा को बंया किया है। अखबार ने लिखा है कि इस साल तय 44900 हैक्टैयर मे से महज 40 फीसदी रकबे मे ही बोवनी हो सकी है। सामान्यत:15 जुलाई तक की जानी वाली बोवनी के आधार पर इस वर्ष तय लक्ष्य 49820 टन से काफी कम फसल होने की संभावना लग रही है। उपसंचालक कृषि आईपी पटेल के हवाले से खबर मे बताया गया है कि' मानसून की अनिश्चितता, बोवनी की अवधि निकलने व गर्मी के साथ साथ कीट-पतंगो के बढते प्रकोप को देखते हुए किसानों से कम अवधि मे पकने वालीं तिल, रामतिल व उडद की फसल लेने की सलाह दी जा रही है।
इस सबके अलावा आज सावन माह के पहले सोमवार होने की वजह से शिवालयों मे श्रद्धालुओं के भीड होने की खबर को सभी अखबारों ने लगाया है।
केन्द्र मे सरकार गिरने की हालात मे संभावित चुनावों को देखते हुए भाजपा ने अपने सबसे उपेक्षित धडे की सुध लेना शुरू कर दिया है। इसी सिलसिले मे सागर मे ही आयोजित सागर विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण कार्यक्रम की सबसे खास बात कार्यकर्ताओं द्वारा बगावती तेवर दिखाना ही रही। इसीलिए यह खबर भी लगभग सभी अखबारों के फ्रंट पेज पर छाई रही।
दैनिक जागरण ने 'गुटबाजी का अखाडा बना रहा भाजपा का कार्यकर्ता सम्मेलन' शीर्षक से लगाई खबर मे लिखा है कि सागर के विधायक को फिर से टिकिट नहीं दिए जाने की मांग की पर्ची के आयोजन स्थल पर फेरा लगाने से पार्टी में अंदरूनी स्तर पर ही माहौल काफी गरमा गया है। जबकि दैनिक आचरण ने भी कार्यकर्ताओं के बगावती तेवरों को ही अपनी खबर का मुख्य विषय बनाया है।
वहीं नवदुनिया ने इसी संबंध मे ' विधायक को घेरने की कोशिश' हेडिंग से लगाई खबर मे सागर की विधायक सुधा जैने के हवाले से लिखा है कि पर्ची बांटने का काम किसी शरारती तत्व का है। दैनिक भास्कर ने भी भाजपा कार्यकर्ता सम्मेलन के बारे मे लिखा है कि कार्यकर्ताओं को रिझाने के लिए की गई पार्टी की कवायद कार्यकर्ताओं के पांच साल की उपेक्षा से उपजी नाराजगी का शिकार हो गई है।
इसी मौके पर हुई पत्रकारवार्ता मे विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी व भाजपा के पूर्व सांसद कैलाश सारंग ने शिवराज सरकार की तारीफ करते हुए उसके दोबारा सत्ता मे आने की बात कही। दैनिक जागरण ने भाजश के मामले मे कैलाश सांरग की टिप्पणी की 'उमा रूपी गुब्बारे की हवा निकल गई है' को बडी प्रमुख्ता से छापा है। इसी सिलसिले मे उन्होनें कहा कि मुख्य लडाई भाजपा व कांग्रेंस के बीच है। भाजश की चुनौती को उन्होने एक शेर के जरिए व्यक्त किया कि' हाथी की दुम का पर्दा हटाया तो चिंदी लटकती मिली'।
राजनीति के मानसून के साथ साथ असल मानसून को तवज्जो देते हुए नवदुनिया ने'40 फीसदी कम हुई बोवनी' शीर्षक से पहली खबर लगाकर अधिक वर्षा से बुवाई नहीं कर पाने की किसानों की व्यथा को बंया किया है। अखबार ने लिखा है कि इस साल तय 44900 हैक्टैयर मे से महज 40 फीसदी रकबे मे ही बोवनी हो सकी है। सामान्यत:15 जुलाई तक की जानी वाली बोवनी के आधार पर इस वर्ष तय लक्ष्य 49820 टन से काफी कम फसल होने की संभावना लग रही है। उपसंचालक कृषि आईपी पटेल के हवाले से खबर मे बताया गया है कि' मानसून की अनिश्चितता, बोवनी की अवधि निकलने व गर्मी के साथ साथ कीट-पतंगो के बढते प्रकोप को देखते हुए किसानों से कम अवधि मे पकने वालीं तिल, रामतिल व उडद की फसल लेने की सलाह दी जा रही है।
इस सबके अलावा आज सावन माह के पहले सोमवार होने की वजह से शिवालयों मे श्रद्धालुओं के भीड होने की खबर को सभी अखबारों ने लगाया है।
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