Wednesday, July 23, 2008

भगवान और जनता ही रोक सकती है चोरियां- पुलिस

शहर के मंदिरों मे बढ्ती चोरियों की वारदातों का पर्दाफाश कर पाने से हताश पुलिस प्रशासन द्वारा जनता प्रेस से मदद लेने की मंशा से आयोजित मंदिर सुरक्षा अभियान नाम से आयोजित संगोष्ठी की खबर लगभग सभी अखबारों में खास तवज्जो के साथ छपी है।

दैनिक जागरण ने " मंदिरों की सुरक्षा से पुलिस ने खींचे हाथ" शीर्षक से लगाई खबर मे लिखा है कि इस पूरे आयोजन मे पुलिस प्रशासन ने खुद के नाकारापन को छुपाते हुए शहर मे हो रहीं चोरियों की वजह जनता की लापरवाही व चोरों का उसूलों से गिरकर काम करना बताया है। खबर मे पुलिस अधीक्षक हरिसिंह यादव के हवाले से लिखा है कि महिलाएं अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दें जिससे वे अपराधी न बन सकें। उन्होंने शहर के मंदिरों मे हो रहीं चोरियों के बारे में कहा कि चिंता न करें भोला भंडारी और देगा।
बुंदेलखण्ड एक्सप्रेस ने इस खबर को" चोरों से ज्यादा बच्चों की चिंता " शीर्षक से लगाया है। वहीं दैनिक आचरण ने भी पुलिस अधीक्षक के बयान " चोर होते हैं निकम्मे " शीर्षक से छापी खबर मे इस आयोजन को पुलिस की कर्तव्यों से मुंह मोडने की कोशिश बताया है। अखबार ने बडे साफ शब्दों मे लिखा है कि चोरियों का पर्दाफाश करने मे असफल रहने वाली पुलिस चोरी की शिकायतो को सादा कागज मे किए जाने पर जोर देती है। जिससे वह चोरी व चोर को पकडने की आधिकारिक जिम्मेदारी से बची रहे। अखबार ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर टिप्पणी करते हुए लिखा है कि चोरियों को रोकने मे तो जनता की मदद मांगने वाली यह पुलिस जुआ, सट्टा व कई तरह के अवैध संचालनों के खिलाफ कार्यवाही मे जनता की मदद नहीं मांगती है क्योंकि इन मामलों से होने वाली काली कमाई को वह खुद ही पचा जाती है।
नवदुनिया ने " पोषण आहार तक सीमित आंगनवाडी " शीर्षक से लगाई खबर मे आंगनवाडी कार्यकर्ताओं द्वारा बच्चों को पोषण आहार से भिन्न सरकारी योजनाओं पर ज्यादा ध्यान नहीं देने का मुद्दा उठाया है। अखबार लिखता है कि कार्यकर्ताओं की इस बेरुखी के चलते जिले के दो हजार 07 आगंनवाडी केन्द्रों मे पढ्ने वाले दो लाख 36 हजार 124 बच्चों का विकास अवरुद्ध हो रहा है।नई आहार नीति के आने के बाद से आगंनवाडी केन्द्रों मे शैक्षिक गतिविधियों पर बुरा असर पडा है।
लीक से हटकर विषयों पर लगीं खबरों मे दैनिक भास्कर ने केन्द्रीय जेल मे कैदियों के पर्स और मोबाइल कवर बनाने जैसी कलात्मक व कमाई वाली कामों मे लगे होने, दैनिक आचरण ने " शस्त्रागार मे धूल खा रहे हें पुलिस के हथियार" व बुंदेलखण्ड एक्सप्रेस ने सोयाबीन की फसल पर पकने के पहले ही हुए इल्लियों व कीट के हमले पर" फसल लहलहाने के पहले ही इल्लियों ने बोला धावा" हैडिंग से लगाई खबर को काफी अहमियत से छापा है।

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