मौसम के असर से अखबारों की सुर्खियां भी अछुतीं नहीं रह पाती हैं। सावन ऋतु की रंगत व संगत का असर प्रकृति ही नहीं अखबारों की सुर्खियों मे भी नजर आ रहा है।
नवदुनिया ने सावन के महीने में भी झिर लगने की जगह दिन भर रूक रूक कर हो रही बारिश को लेकर " मौसम के तीन रंग धूप, बादल और बारिश" शीर्षक से फर्स्ट लीड लगाई है। अखबार ने सावन के महीने मे बुंदेलखण्ड मे बिकने वाली एक खास मिठाई- रेशेदार फैनी के बारे मे भी पिछले पन्ने पर खबर लगाई है।
" इन रेशों मे घुली है मिठाई" शीर्षक से लगी खबर मे बताया है कि यह मिठाई लजीज स्वाद व लंबे समय तक खराब नहीं होने की वजह से देश मे मशहूर है। 60 से 80 रूपए प्रति किलों से बिकने वाली फैनी15 से 60 दिनों तक खराब नहीं होती है। इसे खासतौर पर सावन ऋतु के सर्दगर्म मौसम में ही बनाया जा सकता है।
राज् एक्सप्रेस ने भी सावन के महीने में हिन्दू संस्कृति मे सांपों को दिए जाने वाले खास महत्व को ख्याल मे रखकर उनके संरक्षण के सिलसिले मे" सर्पों की जिंदगी से खिलवाड़" शीर्षक से फ्रंट पेज पर खबर लगाई है। अखबार ने सागर के ही एक सांप पकड़ने वाले के अनुभव को आधार पर लिखा है कि हर साल सैकड़ों की तादाद मे सांप इंसानों का शिकार हो जाते हैं लेकिन इनकी सुरक्षा के लिए जिम्मेदार वन विभाग इस सबसे बेखबर बना हुआ है। इससे प्रकृति के जीवन चक्र की एक अहम कड़ी के टूटने का खतरा पैदा हो गया है।
दैनिक जागरण ने सूचना के अधिकार के अमल मे आला अधिकारियों द्वारा दिखाई जाने वाली बेरूखी व अज्ञानता को अपनी पहली पहली खबर बनाया है। अखबार ने " अफसर नहीं समझ रहे सूचना का अधिकार" शीर्षक से लगाई खबर मे लिखा है कि लोक निर्माण, स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी, जिला पंचायत विभाग सहित कमिश्नर कार्यालय, सागर विश्वविद्यालय व कृषि उपज मंडी मे लोक सूचना व प्रथम अपीलीय अधिकारी ठीक ढंग से काम नहीं कर रहे हैं। जिससे शिकायतकर्ताओं को छोटे-छोटे मामलों मे भी राज्य सूचना आयोग की शरण मे जाना पड़ता है। इस वजह से सूचना के अधिकार पर समय समय पर होने वाली कार्यशालाएं महज खानापूर्ति साबित हो रहीं हैं।
दैनिक भास्कर ने प्रदेश सरकार द्वारा बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए चलाए जा रहे बाल संजीवनी अभियान से सागर जिले मे अपेक्षित नतीजे नहीं आने को अपनी खास खबर बनाया है। अखबार ने सरकारी आंकड़ों के आधार पर लिखा है कि जिले भर मे शून्य से पांच वर्ष तक के 2 लाख 84 हजार 442 बच्चों का वजन लिया गया, उसमे से लगभग आधे 1 लाख 37 हजार 658 बच्चे कुपोषित पाए गए। इनमे से भी 1482 बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित पाए गए। यह नतीजे तब के जब सरकार प्रत्येक खण्ड स्तर पर बच्चों के मुफ्त स्वास्थ्य जांच हेतु मुस्कान कार्यक्रम व गंभीर रूप से कुपोषित बंच्चो के इलाज के लिए हर जिले मे एक से ज्यादा पुनर्वास केन्द्र संचालित कर रही है।
इसके अलावा सागर विश्वविद्यालय मे नए कुलपति के आगमन, नगर निगम द्वारा निर्यात कर नहीं हटाए जाने, बसपा नेता बादशाह सिंह के बुंदेलखण्ड दौरे व घाटे की कंपनी मे बीएसएनएल के विलय के विरोध मे बीएसएनएल कर्मियों के धरने की खबरों को भी सभी अखबारों ने स्थान दिया है। लेकिन दैनिक आचरण अपात्रों के कब्जे मे सरकारी आवास व नवभारत ने शाहगढ़ विकासखण्ड को तहसील बनाने के लिए उठी मांग की खबर को फ्रंट पेज पर छापा है।
नवदुनिया ने सावन के महीने में भी झिर लगने की जगह दिन भर रूक रूक कर हो रही बारिश को लेकर " मौसम के तीन रंग धूप, बादल और बारिश" शीर्षक से फर्स्ट लीड लगाई है। अखबार ने सावन के महीने मे बुंदेलखण्ड मे बिकने वाली एक खास मिठाई- रेशेदार फैनी के बारे मे भी पिछले पन्ने पर खबर लगाई है।
" इन रेशों मे घुली है मिठाई" शीर्षक से लगी खबर मे बताया है कि यह मिठाई लजीज स्वाद व लंबे समय तक खराब नहीं होने की वजह से देश मे मशहूर है। 60 से 80 रूपए प्रति किलों से बिकने वाली फैनी15 से 60 दिनों तक खराब नहीं होती है। इसे खासतौर पर सावन ऋतु के सर्दगर्म मौसम में ही बनाया जा सकता है।
राज् एक्सप्रेस ने भी सावन के महीने में हिन्दू संस्कृति मे सांपों को दिए जाने वाले खास महत्व को ख्याल मे रखकर उनके संरक्षण के सिलसिले मे" सर्पों की जिंदगी से खिलवाड़" शीर्षक से फ्रंट पेज पर खबर लगाई है। अखबार ने सागर के ही एक सांप पकड़ने वाले के अनुभव को आधार पर लिखा है कि हर साल सैकड़ों की तादाद मे सांप इंसानों का शिकार हो जाते हैं लेकिन इनकी सुरक्षा के लिए जिम्मेदार वन विभाग इस सबसे बेखबर बना हुआ है। इससे प्रकृति के जीवन चक्र की एक अहम कड़ी के टूटने का खतरा पैदा हो गया है।
दैनिक जागरण ने सूचना के अधिकार के अमल मे आला अधिकारियों द्वारा दिखाई जाने वाली बेरूखी व अज्ञानता को अपनी पहली पहली खबर बनाया है। अखबार ने " अफसर नहीं समझ रहे सूचना का अधिकार" शीर्षक से लगाई खबर मे लिखा है कि लोक निर्माण, स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी, जिला पंचायत विभाग सहित कमिश्नर कार्यालय, सागर विश्वविद्यालय व कृषि उपज मंडी मे लोक सूचना व प्रथम अपीलीय अधिकारी ठीक ढंग से काम नहीं कर रहे हैं। जिससे शिकायतकर्ताओं को छोटे-छोटे मामलों मे भी राज्य सूचना आयोग की शरण मे जाना पड़ता है। इस वजह से सूचना के अधिकार पर समय समय पर होने वाली कार्यशालाएं महज खानापूर्ति साबित हो रहीं हैं।
दैनिक भास्कर ने प्रदेश सरकार द्वारा बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए चलाए जा रहे बाल संजीवनी अभियान से सागर जिले मे अपेक्षित नतीजे नहीं आने को अपनी खास खबर बनाया है। अखबार ने सरकारी आंकड़ों के आधार पर लिखा है कि जिले भर मे शून्य से पांच वर्ष तक के 2 लाख 84 हजार 442 बच्चों का वजन लिया गया, उसमे से लगभग आधे 1 लाख 37 हजार 658 बच्चे कुपोषित पाए गए। इनमे से भी 1482 बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित पाए गए। यह नतीजे तब के जब सरकार प्रत्येक खण्ड स्तर पर बच्चों के मुफ्त स्वास्थ्य जांच हेतु मुस्कान कार्यक्रम व गंभीर रूप से कुपोषित बंच्चो के इलाज के लिए हर जिले मे एक से ज्यादा पुनर्वास केन्द्र संचालित कर रही है।
इसके अलावा सागर विश्वविद्यालय मे नए कुलपति के आगमन, नगर निगम द्वारा निर्यात कर नहीं हटाए जाने, बसपा नेता बादशाह सिंह के बुंदेलखण्ड दौरे व घाटे की कंपनी मे बीएसएनएल के विलय के विरोध मे बीएसएनएल कर्मियों के धरने की खबरों को भी सभी अखबारों ने स्थान दिया है। लेकिन दैनिक आचरण अपात्रों के कब्जे मे सरकारी आवास व नवभारत ने शाहगढ़ विकासखण्ड को तहसील बनाने के लिए उठी मांग की खबर को फ्रंट पेज पर छापा है।
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