Monday, August 25, 2008

गली-गली में गूंजा- नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की..


आज सारे अखबारे कृष्णमय नजर आए। सभी अखबारों मे कृष्ण जन्माष्टमी के आयोजन की खबरों को फ्रंट पेज पर आकर्षक चित्रों के साथ छापा है। इसके अलावा सुर्खियों मे किसानों की चिंता सरकार की कल्याण योजनाओं का लाभ आम जनता तक नहीं पहुंचने का खुलासा भी है।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व के आयोजन के चलते आधी रात के बाद तक शहर के कृष्ण मंदिरों मे उत्सव का माहौल बना रहा। युवाओं व बुजुर्गों ने ही नहीं बच्चों ने भी देर रात तक जागकर इस त्यौहार का आनंद उठाया। राज एक्सप्रेस ने 'गली-गली मे गूंजी बधाईंयां', दैनिक जागरण ने ' नंद घर आनंद भयो से गूंजे कृष्ण मंदिर', दैनिक भास्कर न्‍ो ' आयो नंदलाला' व नवदुनिया ने 'जन्मे कन्हाई, बाजी बधाई' शीर्षक व आकर्षक चित्रों के साथ इस खबर को लगाया।
दैनिक जागरण ने प्रदेश सरकार के समाज कल्याण विभाग द्वारा चलाई जा रहीं दर्जनों कल्याण योजनाओं के लाभ आम जनता तक नहीं पहुंचने की खबर को अपनी पहली सुर्खी बनाया है। योजनाओं की जानकारी नहीं कैसे लें लाभ ?' शीर्षक से बण्डा संवाददाता के हवाले से लगाई खबर मे खुलासा किया है कि सरकार की कल्याण योजनाओं का धुर देहात के गांवों की जनता को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। अखबार ने बण्डा विकासखण्ड के बहरोल थानांतर्गन गांव 'कलराहो का टपरा' मे सेटेलाईट शिक्षा केन्द्र के उदघाटन के मौके पर कार्यक्रम मे आई मुनिया के अभिभावाकों के हवाले से लिखा कि उन्हें नहीं मालूम की उनकी छोटी बच्ची जो आखों से नहीं देख पाती है वह सरकारी की किस योजना के तहत लाभ ले सकती है। इसी संबंध मे अखबार ने एक से ज्यादा उदाहरण खबरे मे शामिल किए हैं।
नवदुनिया ने सोयाबीन की फसल पर मौसम द्वारा नजर टेड़ी करने से किसानों के माथे पर उभर रहीं चिंता की लकीरों को अपनी पहली सुर्खी बनाया है। 'इल्लियों ने खाया मौसम ने मारा' शीर्षक से लगाई खबर मे अखबार ने लिखा है कि पिछले करीब एक पखवाड़े से बारिश नहीं होने से सोयाबीन पर कीटों का प्रकोप बढ़ गया है। इससे किसानों को यह डर सता रहा है कि पिछले कई सालों से कम वर्षा के चलते बर्बाद हुई सायोबीन कहीं इस बार इल्लियों की भेंट न चढ़ जाए।
दैनिक भास्कर ने देश मे नकली नोटों के बढ़ते प्रचलन की चपेट मे सागर संभाग के भी आने को लेकर एक खास रपट लगाई है। ' लाल रोशनी से दिखाई देगी नोटों की असलियत' शीर्षक से लगाई खबर मे अखबार ने लिखा है कि नकली नोटों की पहचान करने मे आम आदमी से लेकर बड़े व्यापारी व अधिकारी भी धोखा खा रहे हैं। हाल ही मे देश की एक खुफिया ऐजेंसी द्वारा किए गए खुलासे की देश मे प्रचलित मुद्रा मे एक चौथाई जाली है का हवाला देते हुए अखबार ने लिखा है कि जनता मे जाली नोट पकड़ने की पर्याप्त जागरूकता लाए बिना नकली मुद्रा के चलन पर रोक लगा पाना आसान नहीं है।

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