Saturday, September 6, 2008

मलेरिया रोकथाम कागजों में ज्यादा हकीकत मे कम..

बारिश के खत्म होने और ठंड शुरू होने के बीच के समय मे हर साल बीमारियां जोर पकड़तीं हैं लेकिन प्रशासन की बीमारियों के रोकथाम की कवायदें ठण्डीं ही पड़ी रहतीं हैं। जैसे चुनावों को पास आता देखकर नेताओं की सक्रियता बढ़ती हैं वैसी ही सक्रियता स्वास्थ्य अमले की महामारी या मलेरिया जैसे रोगों के फैलने के समय बढ़ती है।
इसी मुद्दे को लेकर दैनिक जागरण ने अपनी पहली सुर्खी बनाई है। फागिंग मशीन ने दम तोड़ा जांच ठण्डे बस्ते में शीर्षक से लगाई खबर मे लिखा है कि जिला मलेरिया विभाग ने छह साल पहले सात फागिंग मशीनें खरीदीं थीं। लेकिन उनमे से दो ही किसी तरह काम कर रहीं हैं। इनकी खरीद-फरोख्त में भ्रष्टाचार के आरोप का मामला जिला योजना समिति मे उछलने के बाद जिला पंचायत के तत्कालीन सीईओं द्वारा की गई जांच के बाद अब किसी अंजाम पर नहीं पहुंची है।
राज एक्‍सप्रेस ने केन्द्र सरकार द्वारा अल्पसंख्यक समुदायों के लिए भी आरक्षण का लाभ देने की नीति के खिलाफ भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा द्वारा विरोध किए जाने को अपनी पहली खबर बनाया है। अखबार ने सागर के महापौर के हवाले से लिखा है कि केन्द्र सरकार की नई प्रस्तावित आरक्षण नीति से देश मे धर्मान्तरण को बढ़ावा मिलेगा व सामाजिक संतुलन बिगड़ेगा।
दैनिक आचरण ने प्रख्यात जादूगर ओपी शर्मा द्वारा अपने उदघाटन शो मे सागर के महापौर को कुछ पलों के लिए गायब किए जाने की खबर को बड़ी प्रमुखता से छापा है।
दैनिक भास्कर ने अपने भोपाल संवाददाता रूमनी घोष के हवाले से लगाई खबर मे सागर के कलेक्टर हीरालाल त्रिवेदी के दहेज के मामले मे फंसने का खुलासा किया है। खबर मे कलेक्टर श्री त्रिवेदी के हवाले से लिखा है कि उनके बेटे द्वारा अपनी पत्नी के खिलाफ कोर्ट मे तलाक की अर्जी दायर करने के डेढ माह बाद अचानक ही उनके परिवार के खिलाफ दहेज का मामला दर्ज कराया गया है। आरोप लगाया जा रहा है कि हमने कार के लिए 5 लाख रूपए की मांग की जबकि हमने तो शगुन में मिली रकम तक नहीं ली।
नवदुनिया अखबार मे गणोत्सव का जलवा अन्य अखबारों की तुलना मे कहीं ज्यादा नजर आ रहा है। आज अखबार ने गणेशा बने बेस्ट फ्रेंड व शहर मे हैं कई चमत्कारी प्रतिमाएं शीर्षक से फ्रंट पेज का दो-तिहाई हिस्सा सिर्फ गणोत्सव को ही दिया। हालांकि कुकिंग गैस से दौड़ रहीं स्कूल की गाड़ियां की खबर को भी अखबार ने फ्रंट पेज पर जगह दी है। अखबार गैस चलित वाहनों के खतरनाक होने पर भी कम मासिक शुल्क देने की लालच मे बच्चों के अभिभावकों द्वारा भी इस मामले को गंभीरता से नहीं लेने पर आश्चर्य जताया है।

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