Wednesday, September 10, 2008

महाप्रयोग पर बवाल...

दुनिया की उत्पत्ति का राज जानने के लिए 10 सितंबर को होने वाले प्रयोग के संबंध मे टीवी चैनलों द्वारा पैदा किए गए भय के चलते अखबारों की सुर्खियां में भी इससे जुड़ी खबरों का बोलबाला बना हुआ है। हालांकि सागर विवि को केन्द्रीय विवि का दर्जा देने के मामले मे योजना आयोग द्वारा आपत्ति जताने के मामले से मप्र सहित रायपुर व गोवा प्रदेशों मे योजना आयोग के खिलाफ प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू होने की खबरें भी सुर्खियों मे है।
दैनिक जागरण ने 'लोग जरूर देखेंगें 11 सितंबर का सूर्योदय' व राज एक्सप्रेस ने ' महा प्रलय की दहशत फैलाई' शीर्षक से इस खबर को पहली सुर्खी बनाया है। दैनिक जागरण नेअपनी खबर मे लिखा है कि चैनलों ने अपनी टीआरपी यानी टेलीविजन रेटिंग बढ़ाने के चक्कर मे महाप्रलय की दहशत फैलाई है।
मप्र, छत्तीसगढ़ व गोवा के एक-एक विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की केन्द्र सरकार की घोषणा के बाद योजना आयोग द्वारा मानव संसाधन विभाग की मंशा पर सवाल उठाए जाने से नाराज इन प्रदेशों में योजना आयोग के खिलाफ प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू कर देने की खबरे आने लगीं हैं। इसी दिशा मे सागर मे भी कुछ नागरिक संगठनों ने योजना आयोग का पुतला जलाया। इस खबर को दैनिक आचरण ने ' योजना आयोग के सामने करेगें प्रदर्शन', राज एक्सप्रेस ने ' आयोग है सिफारिशी संस्था', दैनिक भास्कर ने ' योजना आयोग का पुतला दहन, आयोग को खत्म करने की मांग' व नवदुनिया ने ' संघर्ष मोर्चा ने आयोग का पुतला फूंका' शीर्षक से प्रमुखता से छापा है। अखबारों ने इन प्रदर्शनों के अगुआ संगठन 'सर्वदलीय नागरिक संघर्ष मोर्चा' के संरक्षक के समाजवादी नेता रघु ठाकुर के हवाले से लिखा है कि मोर्चा डॉ० हरिसिंह गौर विवि को केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिए जाने से असहमति जताने वाले योजना आयोग के पत्र की कड़े शब्दों मे निंदा करता है।
राज एक्सप्रेस ने खनिज क्षेत्र से जुड़े ठेकेदारों को उच्च न्यायालय के एक आदेश के आधार पर प्रदूषण बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने की बाध्यता से मुक्त होने के मामले को खास खबर के रूप मे छापा है। अखबार ने लिखा है कि 5 अगस्त को मप्र शासन के खनिज विभाग के सचिव ने एक आदेश जारी कर प्रदूषण विभाग से एनओसी हासिल नहीं करने वाले खदानों मे खनन कार्य तत्काल प्रभाव से बंद करने के लिए कलेक्टरों को निर्देश जारी किए थे। इस वजह से 10 अगस्त से अनेक खदानों पर काम बंद हो गया था। पीड़ित ठेकेदारों ने इस विलंब के लिए प्रदूषण विभाग को दोषी बताते हुए मामला उच्च न्यायालय के सामने रखा। जिसके चलते उन्हें यह राहत मिली है।
इसके अलावा जैसीनगर विकासखण्ड मे फर्जी दस्तावेजों के आधार पर संविदा शिक्षक के पद पर की नियुक्ति हासिल करने वाले 16 शिक्षकों की नियुक्ति जांच मे गलत पाए जाने पर सेवा से बर्खास्त किए जाने व वात्सल्य स्कूल के खिलाफ स्कूल के ही छात्रों द्वारा स्कूल की मान्यता रद्द करने की मांग पर कलेक्टर ने स्कूल के खिलाफ मजिस्ट्रियल जांच के आदेश जारी किए जाने की खबरों को भी अखबारें ने अहिमयत से छापा है।
अंत में नवदुनिया ने मप्र सरकार की सरकारी स्कूलों के बच्चों को मुफ्त किताबों देने की योजना के तहत शिक्षा सत्र के शुरू होने के ढाई माह बाद भी बच्चों को किताबें नहीं मिलने की खबर को अपनी पहली सुर्खी के रूप मे छापा है।

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