Saturday, September 27, 2008

मंहगाई ने किया जीना दूभर गरीबों का'''

बुनियादी जरूरतों से जुड़ी समस्याओं पर अखबारों मे अक्सर खबरें छपतीं रहतीं हैं। शहर की पेयजल व्यवस्था व आमजनता की रोटी पानी की चिंता से जुड़ी खबरें आज अखबारों मे प्रमुखता से नजर आईं हैं।
दैनिक आचरण ने मंहगाई के आसमान छूते ग्राफ से आम लोगों को दो जून की रोटी का इंतजाम करने मे हो रही दिक्कतों पर एक बड़ी खबर लगाई है। अखबार ने ' दो वक्त की रोटी जुटा पाना है मुश्किल' शीर्षक से लगाई खबर मे लिखा है कि मंहगाई के चलते मध्यम वर्गीय परिवारों तक मे थोक की जगह फुटकर सामान खरीदा जाने लगा है। सब्जी व दालें तो खाने की थाली से आए दिन गायब रहने लगीं हैं। गरीब और अति गरीब परिवारों के हाल तो और खराब हो गए हैं।
राज एक्सप्रेस ने लिखा है कि सागर की प्यास बुझाने वाली राजघाट जलआवर्धन परियोजना नगर निगम के लिए गले की हड्डी बन गई है। 'पानी से अस्सी लाख का घाटा ' शीर्षक से लगाई खबर मे अखबार ने लिखा है कि इस परियोजना से नगर निगम को हर महीने करीब 80 लाख रूपए का घाटा हो रहा है। वहीं उसके सर पर करोड़ों रूपए का कर्जा भी चढ़ गया है।
नवदुनिया ने एक हिन्दू परिवार द्वारा रोजा रखे जाने की खबर को अपनी पहली सुर्खी बनाया है। ' रखते हैं रोजा, पढ़तें हैं नमाज व शबीना' शीर्षक से लगाई खबर मे संवाददाता शत्रूघन केशरवानी ने लिखा है कि शहर के तीनबत्ती क्षेत्र मे रहने वाले गोपाल सोनी पिछले 12 वर्षों से न केवल रमजान माह मे रोजे रखते हैं बल्कि नियमित रूप से नमाज व शबीना भी पढ़ते हैं। अब उनकी इस परंपरा को उनके बच्चे भी आगे बढ़ा रहे हें। खबर मे जिला हज कमेटी के अध्यक्ष मौलाना सलीम के हवाले से लिखा गया है कि सभी धर्मों मे लिखा है कि हर धर्म का सम्मान करना चाहिए। श्री सोनी द्वारा रोजे रखने से हिन्दू'मुस्लिम भाईचारे की एक मिसाल सामने आती है।
दैनिक भास्कर ने पर्यटन दिवस के मौके पर एक विशेष रपट लगाई है। 'पर्यटन की संभावनाओं पर लगा ग्रहण' शीर्षक मे अखबार ने लिखा है कि शहर मे इस बार भी पर्यटन दिवस के मौके पर एक भी आयोजन नहीं होना पर्यटन के प्रति जिले मे व्याप्त बेरूखी का अहसास कराती है। इस खास रपट मे नीरज सोनी ने लिखा है कि शहर मे लंबे समय से पर्यटन की संभावनाओं पर ग्रहण लगा है। शहर के पुरातत्व संग्रहालय के बुरे हाल हैं पुरातत्व विभाग व विश्वविद्यालय के संग्रहालयों के हालत यह है कि यहां नाम के लिए भी पर्यटक नहीं पहुंचते हैं।
इसके अलावा विश्वविद्यालय मे स्वचालित मौसम का हाल बताने वाले संयत्र के स्थापित किए जाने, की खबर को सभी अखबरों ने प्रमुखता से छापा है।

1 comment:

  1. अब तो लगता हे इस सरकार के रहते जीना भी दुभर हे, ओर महंगाई भी इस सरकार की देन हे
    धन्यवाद

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