Sunday, March 15, 2009

जिन्दगीं के रंग मौसम के संग बदल रहे हैं घड़ी घड़ी...

मौसम में आए अनपेक्षित बदलाव से किसानों के प्राय: सभी अखबारों मे खबरों के रूप मे दिख रही है। माहौल मे उड़ रहा रंग गुलाल के छींटे रह रह कर छुटपुट खबरों के रूप मे अखबारों मे जगह घेरे हुए हैं।
दैनिक आचरण ने मौसम मे आए बदलाव से किसानों मे बढ़ रही चिंता को सबसे ज्यादा अहमियत देते हुए इस खबर को 'मौसम बदलने से किसान चिंतिति' शीर्षक से अपनी पहली खबर बनाया है। वहीं नवभारत ने सागर लोकसभा सीट पर भाजपा के प्रत्याशी घोषित हुए भूपेन्द्र सिंह ठाकुर के सागर आगमन पर हुए स्वागत को अपनी पहली खबर बनाया है। राजएक्सप्रेस ने सागर विवि के एक प्रो० द्वारा बुंदेलखण्ड क्षेत्र मे उर्जा के वैकल्पिक स्रोत के रूप मे पवन चक्कियों के लगाने की सिफारिश किए जाने के प्रस्ताव को अपनी पहली खबर बनाया है।
जबकि दैनिक जागरण ने राजनैतिक माहौली में लोकसभा चुनावों की वजह से हो रही उथल-पुथल को मद्देनजर रख राजनीति मे आ रही गिरावट को उठाया है। 'लेखा के सिद्धांतों की अमिट तहरीर को भूली भाजपा' शीर्षक से लगाई खबर मे लिखा है कि राजनैतिक क्षेत्र मे राजमाता विजय राजे सिंधिया के रूप मे लोकप्रिय हुई सागर मे जन्मी लेखा दिव्येश्वरी ने 1966 मे कांग्रेस पार्टी मे आई नेतिक गिरावट से हताश होकर भाजपा पार्टी का दामन थामा था। लेकिन वही भाजपा दल भी आज उन्ही आरोपों से घिरा दिख रहा है।
नवदुनिया ने 'भाजपा मे जोश, कांग्रेस मे विरोध, शीर्षक से लगाई खबर मे भूपेन्द्र सिंह को सागर का भाजपा प्रत्याशी घोषित किए जाने पर पार्टी कार्यकर्ताओं के खुशी के इजहार व कांग्रेस पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा असलम शेरखान को सागर का प्रत्याशी बनाए जाने की संभावनाओं के चलते उनके पुतले जलाकर विरोध प्रदर्शन किए जाने को खबर लगाई है।
दैनिक भास्कर ने डॉ० हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय मे आदर्श जवाब तालिका के बिना ही मूल्याकन किए जाने के मुद्दे को अपनी पहली खबर बनाया है। इसके अलावा शहर को उपनगर से जोड़ने वाली सड़क के फोरलेन मे परिवर्तित होने के दौरान सड़क के बीचों बीच खड़े बिजली के खंबों को नहीं हटाए जाने को यातायात के लिए खतरनाक बन जाने के मामले को भी अखबार ने काफी अहमियत से छापा है।
अन्य खास खबरों में दैनिक जागरण ने मापतौल की नई प्रणाली के आगे देश मापतौल की प्रचलित देशी तरीकों के चलन से बाहर होते जाने के विषय को उठाया है। ' पोली, पाई, पसेरी हुई दूर' शीर्षक से लगाई खबर मे लिखा है कि अब द्रव्य मापन के ईकाईंयां अतपई, छटाक दूरी के मापक डग, बेतिया, फर्लागं कोस व मील पैदावार के बीघा, मानी, कठवा, गणना के गड़ा, बिसी व सैकड़ा व खाद्यान्न के पोली, पाई, कुरईया व पसेरी से जैसे मापक इतिहास की बातें बनते जा रहे हैं।

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