Tuesday, March 24, 2009

ठौर नहीं मिला सो लौट आए प्रहलाद ?





कहते हैं राजनीति मे कोई स्थायी दोस्त और दुश्मन नहीं होते हैं। प्रहलाद पटेल की भाजपा मे वापसी कुछ ऐसी ही लगती है। जिस जोश व ठसक के साथ उन्होने भाजपा छोड़ी थी वह उनके भाजपा मे वापस आने के समय कहीं नजर नहीं आ रहा है।
उनकी वापसी किसकी जीत कही जा सकती है भाजपा की, शिवराज की , प्रहलाद की या फिर किसी की भी नहीं? इस का जवाब जनता ही दे तो बेहतर होगा।
पर भाजपा को अलविदा कहते और दोबारा उसका दामन पकड़ने के दौरान प्रहलाद ने भाजपा के बारे मे क्या क्या कहा उसको एक बार सिलसिलेवार ढंग से देखना वाकई रोचक होगा। हां आप भी यह देख सकते हैं
बस फोटो पर क्लिक करें पलक झपकते ही सबकुछ आपके सामने होगा। प्रहलाद पटेल का यात्रा वृतांत-यहां क्लिक करें

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