Tuesday, April 21, 2009

नई लोकसभा सीट पर पहली जीत दर्ज कराने के लिए आतुर है राजनैतिक दल

प्रदेश की टीकमगढ़ लोकसभा सीट पर मुकाबला रोचक होता जा रहा है क्योंकि सभी दल चाहते हैं कि इस नवगठित सीट पर पहली जीत उनके खाते में जाए।

टीकमगढ़ लोकसभा सीट के लिए 17 उम्मीदवार मैदान में हैं पर मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही नजर आ रहा है। यह सीट अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित है।
लोकसभा चुनावों को लेकर टीकमगढ़ का अपना कोई इतिहास नहीं है। इसी वजह से राजनीतिक पर्यवेक्षक इस सीट पर हार जीत की अटकलें मौजूदा राजनीतिक समीकरणों की बजाय आठ विधानसभा क्षेत्रों के चुनाव नतीजों के अब तक के आंकड़ों के आधार पर लगा रहे हैं।
टीकमगढ़ सीट में बुंदेलखंड अंचल का जो हिस्सा शामिल किया गया है वह अब तक आर्थिक और सामाजिक पिछडे़पन, सामंतवादी तानेबाने और दलितों पर होने वाले अत्याचार के लिए ज्यादा चर्चा में रहा है। यहां की चुनावी राजनीति में जाति, धन और बाहुबल की भूमिका को भी अहम माना जाता रहा है। यह बात भी कम रोचक नहीं है कि पिछड़े और उपेक्षित होने के बावजूद बुंदेलखंड अंचल की जनता ने चुनाव लड़ने और वोट डालने में हमेशा बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया है।
वर्ष 2008 के विधानसभा चुनावों में क्षेत्र की आठ विधानसभा सीटों के लिए 183 प्रत्याशी मैदान में थे और औसतन 65 फीसदी मतदान हुआ था। वर्ष 1977 के चुनावों से लेकर 2008 के विधानसभा चुनावों तक इस क्षेत्र में मतदान का प्रतिशत कभी 50 फीसदी से नीचे नहीं गया। टीकमगढ़ दलित बहुल क्षेत्र माना जाता है। यहां अहिरवार समाज के लोगों की आबादी लाखों में बताई जाती है। संभवत: इसी गणित को ख्याल में रखकर कांग्रेस ने वृंदावन अहिरवार को अपना प्रत्याशी बनाया है। वहीं, सागर से चार बार सांसद रहे वीरेन्द्र खटीक भाजपा प्रत्याशी हैं।
टीकमगढ़ में प्रचार प्रसार के लिहाज से फिलहाल किसी भी पार्टी की स्थिति मजबूत नजर नहीं आ रही है। भाजपा प्रत्याशी को जहां कार्यकर्ताओं की कमी खल रही है, वहीं कांग्रेस प्रत्याशी को पार्टी के कद्दावर नेताओं का सहयोग नहीं मिलने से परेशानी महसूस हो रही है।
बहुजन समाज पार्टी अंदरूनी परेशानियों से जूझती प्रतीत हो रही है। टिकट वितरण में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर धन की मांग करने का आरोप लगाने वाले पूर्व उम्मीदवार गयादीन अहिरवार को पार्टी से निष्कासित किया जा चुका है।
अब बसपा ने जी.डी. अहिरवार को अपना प्रत्याशी बनाया है लेकिन गयादीन निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में डटे हुए हैं। इससे नए बसपा प्रत्याशी को पार्टी के अंदर पड़ी फूट से जूझना पड़ रहा है।
समाजवादी पार्टी ने चिंतामन कोरी को अपना प्रत्याशी बनाया है। हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी के निवाडी सीट जीतने की वजह से सपा कार्यकर्ताओं में काफी उत्साह नजर आ रहा है।
उधर, भाजश इस बार चुनावी परिदृश्य से गायब है। लिहाजा उसके वोट बैंक के बंटने से भाजपा के अलावा थोड़ा बहुत फायदा सभी पार्टियों को मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। टीकमगढ़ सीट पर कुल 17 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। नवगठित टीकमगढ़ सीट पर चूंकि लोकसभा चुनाव पहली बार हो रहा है इसलिए चुनावी मैदान में डटीं पार्टियां इस संसदीय क्षेत्र में आने वाली विधानसभा सीटों के पिछले चुनावी नतीजों और खास तौर पर हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के परिणामों के आधार पर ही हार जीत की संभावनाएं खंगालने में लगी हैं।
सियासी गुणाभाग का यह पैमाना भी काफी पेचीदा नजर आ रहा है। टीकमगढ़ क्षेत्र में पिछले विधानसभा चुनावों के नतीजे इतने चौंकाने वाले थे कि सियासी धुरंधरों के कयास गलत साबित हो गए।
मिसाल के तौर पर भाजश की राष्ट्रीय अध्यक्ष साध्वी उमा भारती अपने गृह जिले टीकमगढ़ में ही हार गईं।
पिछले विधानसभा चुनाव में टीकमगढ़ संसदीय क्षेत्र की आठ विधानसभा सीटों में से कांग्रेस को केवल दो सीटों टीकमगढ़ और पृथ्वीपुर पर जीत मिली थी, जबकि वह बिजावर में दूसरे, छतरपुर में तीसरे, खरगापुर में चौथे, महाराजपुर और जतारा में पांचवें स्थान पर रही। निवाडी सीट पर तो उसे छठे स्थान से ही संतोष करना पड़ा।
भाजपा को जतारा, छतरपुर और बिजावर विधानसभा सीट पर जीत मिली थी, जबकि पृथ्वीपुर, निवाडी और महाराजपुर सीट पर वह दूसरे स्थान पर रही। खरगापुर और टीकमगढ़ सीट पर वह क्रमश: तीसरे व चौथे स्थान पर रही।
सपा केवल एक सीट निवाडी पर ही जीत दर्ज कर सकी। बाकी सीटों पर वह दूसरे से लेकर दसवें स्थान पर रही। बसपा इन आठ विधानसभा सीटों में से कहीं भी अपना खाता भी नहीं खोल सकी लेकिन वह छह सीटों पर तीसरे और दो सीटों पर दूसरे स्थान पर रही।

No comments:

Post a Comment

If you have something to say about any News, Issues or about any thing under the sun. Just write in the blank space given below and Post It.We always welcome your comments and opinions.

 
© Media Watch Group-Copyright to Visitors Sagar Watch