Wednesday, May 6, 2009

लोकसभा चुनाव में संचार तंत्र की रही प्रभावी भूमिका

प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों के लिए निर्वाचन प्रक्रिया में संचार तंत्र की प्रभावी भूमिका परिलक्षित हुई है। चुनाव आयोग की मंशा के अनुरूप प्रदेश में आधुनिक संचार साधनों का अधिकाधिक और बेहतर इस्तेमाल किया गया।

लोकसभा निर्वाचन के लिए नामांकन की अधिसूचना जारी होने के पूर्व ही संचार तंत्र ने अपना काम करना शुरू कर दिया था।
नामांकन प्रक्रिया से लेकर मतदान तथा उसके बाद मतदान संबंधी रिपोर्ट भेजने तक संचार तंत्र अत्याधिक सक्रियता से कार्य करता रहा है। इसका परिणाम यह रहा कि जिलों से मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय को पल-पल की जानकारी मिलती रही, बल्कि कुछ ही मिनटों के भीतर जिलों को मार्गदर्शन भी दिया जाता रहा। मतदान केन्द्रों से लेकर आयोग तक जुड़े कम्युनिकेशन के तारों ने पूरी मशीनरी को चौकस और मुस्तैद कर रखा था। जिसके फलस्वरूप चुनाव के दौरान होने वाले अपराधों में पिछले चुनावों की तुलना में भारी कमी आई।
लोकसभा चुनाव में संचार सुविधा के जो आधुनिकतम साधन इस्तेमाल किए गए उनमें लैंडलाइन फोन, मोबाइल फोन, फैक्स, वायरलेस और ऑनलाईन सेवा आदि शामिल हैं। सूचना तंत्र के विस्तृत दायरे में मतदान केन्द्र, संबंधित थाना, जोनल अधिकारी, सेक्टर मजिस्ट्रेट, आ‌र्ब्जवर, माइक्रो आब्जर्वर, जिला निर्वाचन अधिकारी, मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, चुनाव आयोग आपस में जुड़े हुए थे। मैदानी अधिकारियों को लोकसभा निर्वाचन संबंधी विभिन्न सूचनाओं के आदान-प्रदान करने हेतु तैयार किए गए कम्युनिकेशन प्लान के तहत मोबाइल फोन के व्यय हेतु 11 लाख 71 हजार 500 रुपये की राशि स्वीकृत की गई थी। भोपाल स्थित मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय स्तर पर मतदान के दिन तैनात राज्य प्रशासनिक सेवा के 8 अधिकारियों के अलावा दो-दो व्यक्तियों की 6 टीमें तैनात की गई थी। संचार तंत्र के जानकार तीन व्यक्ति भी रिजर्व में थे।

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