Friday, June 5, 2009

बुंदेलखण्ड मे बारिश मे सैकड़ों गांव बन जाते हैं टापू...

बुंदेलखण्ड मे देश की आजादी के 6 दशक बीत जाने के बाद भी गांवों की जिन्दगी मुश्किलों से भरी है। सूखा पड़ता है तो जमीन का सीना फट जाता है वहीं बारिश होती है तो गांव टापू बन कर रह जाते हैं। लगता है विकास के आंकड़ों की गंगनचुंबी इमारत खड़ी करने मे माहिर प्रशासन अभी तक इन गांवों की समस्याओं का कोई कारगर हल नहीं सूझ रहा है।

सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक बुंदेलखण्ड के सागर जिले मे ही अभी भी आधा सैकड़ा से ज्यादा ऐसे गांव मौजूद है जो बारिश के दिनों मे टापू मे तब्दील हो जाते हैं। बारिश भर इन गांवों के वाशिंदों को कभी कभी हफ्तों आटा-दाल नमक तक को तरसना पड़ता है सेहत, शिक्षा व अन्य सुविधाओं की तो बात ही क्या करना ।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक पहुंच विहीन मार्गों की सबसे ज्यादा संख्या जिले की खुरई तहसील मे हैं। यहां करीब 75 गांव ऐसे है जो बरसात के दिनों मे किसी समुंदर के टापू नजर आने लगते हैं। जबकि शाहगढ़ विकासखण्ड मे ऐसे दो ही गांव मौजूद हैं। अन्य विकास खण्डों मे से केसली 10, माल्थौन 10, देवरी 7, जैसीनगर 8, नरयावली 4, सुरखी, शाहगढ़ व बांदरी में 2-2 गांव हैं।
इस सिलसिले में अपर कलेक्टर राजेश कौल ने बताया कि जिले के पहुंच विहीन गांवों की देखभाल के लिए प्रशासन विशेष प्रयास कर रहा है। ऐसे गावों मे अनाज भण्डारण का काम 15 जून तक पूरा कर लिया जाएगा। साथ ही रोजगार गारण्टी योजना के तहत इन गावों के लिए डब्लूबीएम सड़कों को ठीक करने का काम भी मुस्तैदी से चल रहा है।

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