Friday, June 12, 2009

राज्य वेतन आयोग के विचारणीय विषयों में संशोधन का निर्णय

के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में यहां संपन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में राज्य वेतन आयोग के विचारणीय विषयों में संशोधन करने का निर्णय किया गया।
बैठक में, केन्द्र सरकार द्वारा गठित छठवें वेतन आयोग की अनुशंसाओं एवं 10 सितंबर 2008 के राज्य शासन के संकल्प के परिप्रेक्ष्य में कर्मचारियों की मांगों पर विचार कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने संबंधी विषय भी शामिल करने का निर्णय किया गया।
इसके अनुसार ए.के. अग्रवाल की अध्यक्षता में गठित राज्य वेतन आयोग स्थानीय निकायों तथा राज्य शासन द्वारा गठित विधिक संस्थाओं के कर्मचारियों की मांगों का निर्धारण करेगा जिसमें वेतन का ढांचा, भत्ते तथा देय सुविधाएं शामिल हैं। आयोग, कार्यभारित तथा आकस्मिक निधि से वेतन पाने वाले कर्मचारियों के लिए पृथक से वेतन भत्ते एवं सेवा शर्तो को बनाए रखने की आवश्यकता पर विचार करेगा। यह राज्य सरकार की संस्थाओं को आधुनिक तथा व्यावसायिक संस्थाओं के रूप में परिवर्तित करने के उपायों पर भी विचार करेगा।
आयोग मैदानी स्तर पर सेवा प्रदाता संस्थाओं तथा कर्मचारियों को नागरिक हितैषी तथा स्थानीय समुदाय की प्रतिनिधि संस्थाओं के प्रति जवाबदेह बनाने के साथ साथ केन्द्र सरकार द्वारा गठित छठवें वेतन आयोग की अनुशंसाओं एवं मध्यप्रदेश के वित्त विभाग की 28 फरवरी 2009 को जारी अधिसूचना के परिप्रेक्ष्य में विचार कर विभिन्न संवगरें के वेतनमान की विसंगतियों के निराकरण तथा अन्य भत्ते एवं देय सुविधाओं के निर्धारण पर सुझाव देगा। आयोग केन्द्र सरकार द्वारा गठित वेतन आयोग की अनुशंसाओं के परिप्रेक्ष्य में राज्य के पेंशनरों की पेंशन के पुनर्निर्धारण के संबंध में भी सुझाव देगा। यह राज्य के कर्मचारियों की कार्यक्षमता को बनाए रखने के लिए प्रोत्साहन के संबंध में भी सुझाव देगा।
अपनी सिफारिशें करते समय आयोग राज्य की आर्थिक स्थिति, राज्य के लोकवित्त के सतर्क प्रबंधन, राज्य के वित्तीय संसाधनों पर उसके आर्थिक विकास की आवश्यकता की दृष्टि से मांग तथा अन्य संबद्ध कारकों का ध्यान अखेगा।
राज्य को आधुनिक, सुशासित तथा विकसित प्रदेश बनाने के लिए संबंधित सेवाओं में दक्ष व्यक्तियों को आकर्षित करने की दृष्टि से विभिन्न सेवाओं के लिए वेतनमान में सापेक्षता निर्धारित की जाएगी।
आयोग अपना प्रतिवेदन 30 जून, 2009 तक राज्य शासन को प्रस्तुत करेगा। जिन अनुशंसाओं को अंतिम रूप दिया जा चुका है, आयोग आवश्यक होने पर उन पर अंतरिम प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगा।
मंत्रिपरिषद ने स्नातक पटवारी से नायब तहसीलदार के पद पर नियुक्ति के लिए निर्धारित आयु सीमा में पांच वर्ष की छूट देने का निर्णय किया है।

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