Monday, June 15, 2009

नए सत्र में भी स्कूल नहीं पहुंच पाएंगे शिक्षक

नया सत्र शुरू होने में मात्र सत्रह दिन बचे हैं। शिक्षकों को तो 23 जून को स्कूल पहुंचना है लेकिन करीब छह सौ व्याख्याता एक जुलाई को भी स्कूल नहीं पहुंच पाएंगे। वजह है चार माह से अटकी उनकी पोस्टिंग। काउंसलिंग के जरिए वे अपने पसंद का स्कूल भी चुन चुके हैं। बस, उनकी सूची को विभागीय मुखिया की ओर से हरी झंडी मिलना है। मगर इसी के इंतजार में चार माह बीत गए।

हाईस्कूल और हायर सेकंडरी के रिजल्ट से मिले कलंक को मिटाने में राज्य सरकार कितनी गंभीर है। इसका अंदाजा व्याख्याताओं की पोस्टिंग की फाइल से लगाया जा सकता है। लोक शिक्षण संचालनालय ने करीब छह सौ व्याख्याताओं की पदोन्नति के बाद फरवरी में जिला स्तर पर काउंसलिंग की थी।
इसमें सभी ने अपने पसंद के स्कूल चुन भी लिए थे। काउंसलिंग पूरी होते ही संचालनालय ने अनुमोदन के लिए फाइल शिक्षा मंत्री अर्चना चिटनीस के पास भेज दी थी। अप्रैल में लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता कभी भी लगने की संभावना थी। इसलिए भी विभाग ने पूरा काम ताबड़तोड़ ढंग से किया। मगर पहले तो आचार संहिता लगने तक इस फाइल को मंत्री की मंजूरी नहीं मिल सकी।
आचार संहिता हटने के एक माह बाद भी आज तक फाइल वहीं के वहीं अटकी है। अब स्थिति यह है कि विभागीय मुखिया शत प्रतिशत गंभीरता दिखाते हुए सोमवार को भी फाइल लौटा देती हैं, तब भी विभाग की प्रक्रिया एक जुलाई के पहले पूरी नहीं हो सकेगी। इसके चलते सैकड़ों स्कूलों में नया सत्र भी विषय विशेषज्ञों की कमी के बीच ही शुरू होगा।
प्राचार्यो की कुर्सियां भी खाली : यही स्थिति हाईस्कूल और हायर सेकंडरी प्राचार्यो के पदों की है। वर्तमान में करीब 500 हायर सेकंडरी और 1100 हाईस्कूल प्राचार्यो के पद खाली हैं। हाईस्कूल से हायर सेकंडरी प्राचार्य पद पर पदोन्नति के लिए लोक सेवा आयोग से अनुमति और डीपीसी की तिथि लेना पड़ती है।
मगर स्थिति यह है कि करीब छह माह पहले 190 पदों का प्रस्ताव भेजा गया था, इन्हीं की अनुमति अब तक नहीं मिल सकी है। पांच सौ नए पदों की दूसरी सूची भी तैयार पड़ी है। मगर पहले के इंतजार में इसे भी नहीं भेजा जा रहा। व्याख्याता से हाईस्कूल प्राचार्य की कार्यवाही विभाग स्तर से ही की जाना है, लेकिन इस मामले में भी लापरवाही चल रही है।

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