Monday, July 27, 2009

राहत राशि हितग्राही के घर जा कर दी जाए-मंगलम

अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम १९९५ के तहत हितग्राहियों को राहत राशि उनके घर जाकर दी जाए। जिससे वे बिना किसी भटकाव के उसका उपयोग कर सकें। यह सुक्षाव सागर मे पुलिस महानिरीक्षक अन्वेष मंगलम ने आज यहां मप्र आकस्मिकता योजना के नियमों के लिए गठित संभाग स्तरीय क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण समिति की बैठक के दौरान दिए।

इस मौके पर संभागायुक्त शरद कुमार वेद ने भी अनुसूचित जाति एवं जनजाति के कल्याण के लिए बनीं योजनाओं के क्रियान्वयन मे तेजी लाने का सुक्षाव दिया। सागर संभाग मे अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण नियम १९९५ के मप्र आकस्मिकता योजना अत्याचार निवारण नियमों के क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण के लिए गठित संभाग स्तरीय समिति ने पिछले १५ महीनों में ८०० से ज्यादा हितग्राहियों को आर्थिक सहायता दिलाई है।
बैठक में जानकारी दी गई कि अप्रैल-०८ से जून-०९ तक इस अधिनियम के तहत ८२६ हितग्राहियों को १ करोड़ ५८ लाख ४७ हजार ५०० रुपए की सहायता प्रदान की गई है। लाभांन्वित हितग्राहियों में अनुसूचित जाति के ७१८ हितग्राहियों को १ करोड २१ लाख ३५ हजार ५०० रुपए व अनुसूचित जनजाति के १०८ हितग्राहियों को ३७ लाख १२ हजार रुपए की सहायत दी गई है।
संभाग में जिन हितग्राहियों को सहायता प्रदान की गई हैं उसमें से सबसे ज्यादा को ५० लाख १२ हजार ५०० रुपए सागर जिले के २०६ हितग्राहियों को व सबसे कम १३ लाख ३५ हजार रुपए टीकमगढ जिले के ८१ हितग्राहियों को मिली है। जबकि अन्य जिलों में दमोह जिले के १०३ हितग्राहियों को ३७ लाख ८८ हजार ८०० रुपए, पन्ना जिले के ७२ हितग्राहियों को १३ लाख ५६ हजार २०० रुपए व छतरपुर जिले के ३६४ हितग्राहियों को ४३ लाख ५५ हजार रुपए की सहायता प्राप्त हुई है।
इसके अलावा एक जनवरी २००८ से जून २००९ तक की १८ माह की अवधि में सागर संभाग में अनुसूचित जाति व जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम १९९५ के तहत २८३ लोगों को सजा सुनाईं गई है व ७६६ लोगों के खिलाफ चालान पेश किए गए हैं।

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