Tuesday, July 28, 2009

आंगनबाड़ियों में पोषण आहार का नया मीनू सितंबर से

आंगनवाड़ी केंद्रों पर मिलने वाले पूरक पोषण आहार का मीनू एक सितंबर से बदल रहा है। इन केंद्रों पर बच्चों तथा महिलाओं को सोया बर्फी, लड्डू, हलुआ और खिचड़ी जैसे व्यंजन मिलेंगे। अब पोषण आहार के स्वाद तथा गुणवत्ता का खास ख्याल रखा जाएगा। इसके लिए हलुआ की सिकाई रोस्टेड तकनीक से होगी। छह माह से तीन साल तक के बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं को हर मंगलवार टेक होम राशन देने की व्यवस्था भी सितंबर माह से लागू की जाएगी।
महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री रंजना बघेल ने शनिवार को मंत्रालय में आयोजित विभागीय अधिकारियों की बैठक में यह जानकारी दी। बैठक में प्रमुख सचिव महिला एवं बाल विकास टीनू जोशी, पोषण आहार सामग्री प्रदायकर्ता एजेंसी एमपी एग्रो के प्रबंध संचालक डॉ।व्हीएस निरंजन और संचालक महिला एवं बाल विकास गुलशन बामरा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
श्रीमती बघेल ने बताया कि आंगनवाड़ी केन्द्रों में सितंबर माह से हितग्राहियों को पूरक पोषण आहार नए स्वरूप में दिया जाएगा। इसमें सोया बर्फी, लड्डू, हलुआ और खिचड़ी शामिल रहेगी। लाभान्वित होने वाले हितग्राहियों में गर्भवती एवं धात्री माताएं, किशोरी बालिकाएं और छह माह से तीन वर्ष तथा तीन से छह वर्ष तक के बच्चे शामिल रहेंगे। हर मंगलवार को दी जाने वाली टेक होम पूरक पोषण आहार सामग्री उन्हें निर्धारित पैकेट में मिलेगी।
पैकेट के ऊपर उसके उपयोग, रखरखाव की विधि लिखी होगी। तीन से छह वर्ष तक के बच्चों और किशोरी बालिकाओं को आंगनवाड़ी केन्द्रों में पूरक पोषण आहार मिलेगा। श्रीमती बघेल ने बताया कि आंगनवाड़ी केन्द्रों पर ताजा, पका हुआ स्वादिष्ट पूरक पोषण आहार उपलब्ध कराया जाएगा और इसकी गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होगा।
व्यंजनों के स्वाद को ध्यान में रखते हुए अब सामग्री की सिकाई की तकनीक में परिवर्तन किया गया है।
छह माह से तीन वर्ष तक के बच्चों को टेक होम राशन के तहत प्रतिदिन 120 ग्राम के हिसाब से पांच दिन का पोषण आहार दिया जाएगा। पोषण आहार का उपयोग गुनगुने पानी अथवा दूध में पेस्ट बनाकर किया जा सकेगा। पैकेट खोलने के पश्चात शेष मात्रा को हवा बंद पै¨कग के द्वारा सुरक्षित रखने के संबंध में हिदायतें दी जाएंगी। शुरू में लगभग 450 बाल विकास परियोजनाओं में सेम्पल भेजे जाएंगे।
परियोजना अधिकारी से लेकर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता इसकी गुणवत्ता की जांच करेंगे। सामग्री के खराब होने पर उसकी जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दी जाएगी। वरिष्ठ अधिकारी भी हर पन्द्रह दिन में पूरक पोषण आहार की गुणवत्ता को परखेंगे। उन्होंने कहा कि केन्द्रों में भेजी जाने वाली सामग्री अच्छी तरह पकी हुई होना चाहिए। वे स्वयं निरीक्षण कर उसकी जांच करेंगी।

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