मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष श्री ईश्वरदास रोहाणी ने कहा है कि नई पीढी को समृद्ध सिंधी साहित्य और संस्कृति से अवगत कराना वरिष्ठ लेखकों का दायित्व है। श्री रोहाणी आज भेड़ाघाट में दो दिवसीय अ.भा. सिंधी साहित्यक संगोष्ठी का शुभारंभ कर रहे थे।
श्री रोहाणी ने कहा कि सिंधी भाषियों के स्वतंत्रता प्राप्ति में योगदान से लेकर, सिंधी पर्वों त्यौहारों और साहित्य से युवा वर्ग को परिचित कराना एक चुनौती पूर्ण कार्य है। यह कार्य सिंधी साहित्यक सांस्कृतिक संस्थानों को मिलकर करना है।
उन्होंने कहा कि सिंधी भाषा और साहित्य के संरक्षण के लिये सरकारों का सहयोग भी जरूरी है, लेकिन मुख्य रूप से सिन्धी भाषा भाषियों को यह दायित्व वहन करना है। श्री रोहाणी ने कहा कि समाज से समर्थ तबके को साहित्य संरक्षण के लिये प्रेरित किया जाना चाहिए। श्री रोहाणी ने संगोष्ठी में पधारे लेखकों, कलाकारों का जबलपुर वासियों की ओर से स्वागत किया।
राष्ट्रीय सिन्धी भाषा विकास परिषद के उपाध्यक्ष श्री श्रीकांत भाटिया ने कहा कि परिषद द्वारा सिंधी टी.वी. चैनल प्रारंभ करने की दिशा में प्रयास किये जायेंगे। श्री भाटिया ने परिषद के उद्देश्यों की जानकारी भी दी।
प्रारंभ में सिंधी साहित्य के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सुंदर अगनानी ने स्वागत भाषण मं संस्था की गतिविधियों का विवरण दिया। उन्होंने श्री रोहाणी को सिंधी भाषा के प्रति उनके प्रेम के लिए बधाई दी। सभा के महासचिव एवं सुरभि पत्रिका के संपादक श्री लक्ष्मण भम्माणी ने कहा कि भारत के साथ ही सिंध के प्रख्यात लेखकों को पुरस्कृत एवं सम्मानित करने का कार्य यह संस्था कर रही है।
राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद, नई दिल्ली के उपाध्यक्ष श्री कांत भाटिया और निर्देशक डॉ. एम.के. मतलानी, इंडियन इंस्टीट्यूट आफ सिंधालॉजी, आडीपुर (गुजरात) के निदेशक ख्यात साहित्यकार श्री लखमी खिलाणी मंच पर उपस्थित थे। विधानसभा अध्यक्ष श्री रोहाणी इस अवसर पर साहित्य सभा द्वारा प्रकाशित लेखक-कलाकार-दूरभाष निर्देशिका का विमोचन किया।
संगोष्ठी के प्रथम सत्र में श्री घनश्याम सागर के व्यंग संग्रह खट्टा मिट्ठा कारवां तथा श्री मोहान थानवी के उपन्यास का विमोचन भी किया गया।
श्री रोहाणी ने कहा कि सिंधी भाषियों के स्वतंत्रता प्राप्ति में योगदान से लेकर, सिंधी पर्वों त्यौहारों और साहित्य से युवा वर्ग को परिचित कराना एक चुनौती पूर्ण कार्य है। यह कार्य सिंधी साहित्यक सांस्कृतिक संस्थानों को मिलकर करना है।
उन्होंने कहा कि सिंधी भाषा और साहित्य के संरक्षण के लिये सरकारों का सहयोग भी जरूरी है, लेकिन मुख्य रूप से सिन्धी भाषा भाषियों को यह दायित्व वहन करना है। श्री रोहाणी ने कहा कि समाज से समर्थ तबके को साहित्य संरक्षण के लिये प्रेरित किया जाना चाहिए। श्री रोहाणी ने संगोष्ठी में पधारे लेखकों, कलाकारों का जबलपुर वासियों की ओर से स्वागत किया।
राष्ट्रीय सिन्धी भाषा विकास परिषद के उपाध्यक्ष श्री श्रीकांत भाटिया ने कहा कि परिषद द्वारा सिंधी टी.वी. चैनल प्रारंभ करने की दिशा में प्रयास किये जायेंगे। श्री भाटिया ने परिषद के उद्देश्यों की जानकारी भी दी।
प्रारंभ में सिंधी साहित्य के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सुंदर अगनानी ने स्वागत भाषण मं संस्था की गतिविधियों का विवरण दिया। उन्होंने श्री रोहाणी को सिंधी भाषा के प्रति उनके प्रेम के लिए बधाई दी। सभा के महासचिव एवं सुरभि पत्रिका के संपादक श्री लक्ष्मण भम्माणी ने कहा कि भारत के साथ ही सिंध के प्रख्यात लेखकों को पुरस्कृत एवं सम्मानित करने का कार्य यह संस्था कर रही है।
राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद, नई दिल्ली के उपाध्यक्ष श्री कांत भाटिया और निर्देशक डॉ. एम.के. मतलानी, इंडियन इंस्टीट्यूट आफ सिंधालॉजी, आडीपुर (गुजरात) के निदेशक ख्यात साहित्यकार श्री लखमी खिलाणी मंच पर उपस्थित थे। विधानसभा अध्यक्ष श्री रोहाणी इस अवसर पर साहित्य सभा द्वारा प्रकाशित लेखक-कलाकार-दूरभाष निर्देशिका का विमोचन किया।
संगोष्ठी के प्रथम सत्र में श्री घनश्याम सागर के व्यंग संग्रह खट्टा मिट्ठा कारवां तथा श्री मोहान थानवी के उपन्यास का विमोचन भी किया गया।
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