Tuesday, July 22, 2008

आजकल - करार और तकरार जम्हूरियत पर वार ..

करार के मुद्दे पर पर तकरार हुई। वाम दलों ने सरकार से कुट्टी कर ली। बस फिर क्या था कांग्रेस द्वारा राजनीति के गलियारे के किसी कोने मे बेकार सामान समझ कर चार साल पहले फेंके गए अमर सिंह मुलायम सिह में अचानक जान गई। वे पल भर मे ही कांग्रेस की आखों के तारे बन गए। विपक्षी दलों द्वारा केन्द्र सरकार पर इस्तीफा देने का दबाव बनाते ही देश के सांसदों की खरीद-फरोख्त का घिनौना खेल शुरू हो गया । इस, सरकार गिराने बचाने के खेल मे जीत किसी की भी हो पर हार तो दोनों ही हालातों मे लोकतंत्र की होनी हैं।

इस खेल ने देश की जनता को यह दिखा दिया है कि जिन लोगों को वो देश चलाने के लिए अपना प्रतिनिधि बनाकर भेजते हैं वे वहां जाकर सिर्फ अपने व अपने परिवार के हितों के लिए काम करते है। वो भी देश, प्रदेश, समाज व अपने क्षेत्र के हितों को ताक पर रखकर। संसद मे पेश हुआ विश्ववास प्रस्ताव चाहे जिस गति जाए पर टके सेर भाजी जैसे बिकने वाले सांसदों के सहारे तो यह देश गर्त मे जाए बिना नहीं रह सकता है। एटमी करार देश हित मे है या नहीं यह तो पता नहीं लेकिन दिल्ली मे चल रहा राजनीति का खेल देश हित में नहीं है यह तो तय है साथ ही इससे इतना तो अंदाजा इस देश की जनता को लग ही गया है कि देश के कथित जनप्रतिनिधि भी एटमी करार से कम खतरनाक नहीं है।

2 comments:

  1. संसद मे पेश हुए विश्वास प्रस्ताव के पक्ष-विपक्ष मे मतदान करने के लिए सांसदों के साथ की जा रही खरीद-फरोख्त एवं उनको दिए जा रहे प्रलोभन भ्रष्टाचार की श्रेणी मे आते हैं। जेल से बाहर आकर वोट देने वाले सांसदों से सकरकार गिरे या बचे किंतु नैतिकता के तराजू मे यह सब गलत है। इन दागी सांसदों द्वारा पारित कानूनों की भी पुन: समीक्षा की जानी चाहिए तथा इन कानूनों को जनता पर बाध्यकारी भी नहीं होना चाहिए।
    अजय जैन, पत्रकार

    ReplyDelete
  2. कांग्रेस को नैतिकता से नहीं है कोई नाता...
    कांग्रेस नैतिकता की बात करती है उसके कामों से ऐसा लगता है कि उसे नैतिकता की एबीसीडी भी नहीं आती है। जिस दिन वामदलों ने समर्थन वापिस लिया था उसी दिन मनमोहन सिंह उर्फ सोनिया गांधी को इस्तीफा राष्टपति को
    सौंप देना चाहिए था। उससे न तो भ्रष्टाचार को बढाव मिलता और कांग्रेस की साख भी बनी रहती। अब सांसद करोडों मे बिक रहे हैं। खुलेआम लोकतंत्र का माखौल उडाया जा रहा है। इस घिनौने खेल को खेलने वालों को देश की जनता कभी माफ नहीं करेगी। लोग मंहगाई से परेशान हैं लेकिन इन जनप्रतिनिधियों तो सिर्फ अपने स्वार्थों के पूरे होने व ज्यादा से ज्याद दामों मे बिकने की चिंता भर है न कि परमाणु डील की।
    हित कुमार अग्रवाल, केमिस्ट सागर

    ReplyDelete

If you have something to say about any News, Issues or about any thing under the sun. Just write in the blank space given below and Post It.We always welcome your comments and opinions.

 
© Media Watch Group-Copyright to Visitors Sagar Watch