केन्द्रीय अध्ययन दल ने आज मुरैना जिले के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों का भ्रमण कर अल्पवर्षा के कारण उत्पन्न सूखा की स्थिति का आंकलन किया। दल के सदस्यों ने ग्रामीणों से रू ब रू चर्चा कर खरीफ फसल की स्थिति, आगामी रवी फसल की तैयारियों तथा पेयजल और पशु चारा की स्थिति के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की। भ्रमण के दौरान (संभागायुक्त श्री एस.डी. अग्रवाल), केन्द्रीय अध्ययन दल के सदस्य उप सलाहकार कृषि योजना आयोग डा. ए.के. तिवारी, असिस्टेंट डायरेक्टर डिपार्टमेंट एक्सपेंडीचर श्री मेवाराम, सहायक सलाहकार पी एच ई शहरी विकास मंत्रालय श्री एम.धिनधयालन के साथ कलेक्टर श्री एम.के. अग्रवाल, उप राहत आयुक्त श्री अशोक गुप्ता, जिला पंचायत, राजस्व, कृषि, सहकारिता, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, जल संसाधन, पशुपालन आदि विभागों के अधिकारी थे।
केन्द्रीय अध्ययन दल के सदस्यों को नौगांव के ग्रामीणों ने बताया कि पिछले सात आठ साल से वे सूखे की चपेट में हैं। इस वर्ष सबसे कम वर्षा हुई है। इस कारण जहां फसल प्रभावित हुई है, वहीं पशुओं के लिए पानी और चारे की भी किल्लत है। खेतों की नमी बनी रहने पर ही रवी में सरसों- चना की फसल हो सकती है। केन्द्रीय अध्ययन दल के सदस्यों को ग्राम सिलगिला में ग्रामीणों ने बताया कि खरीफ की फसल तो पूरी तरह से नष्ट हो गई है। अगले कुछ दिनों में वर्षा होने पर ही रवी की फसल की आशा है। गांव में पीने के पानी के लिए तीन हैण्ड पंप है, जिनमें से दो का पानी खारा होने के कारण पीने योग्य नहीं है।
केन्द्रीय अध्ययन दल के सदस्यों ने ग्राम सवदलपुर में कुआं और तालाब का निरीक्षण कर जल संग्रहण की स्थिति का जायजा लिया। ग्रामीणों ने बताया कि भूमि का जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों के भ्रमण के बाद केन्द्रीय अध्ययन दल के सदस्यों ने जिले के अधिकारियों के साथ सूखा की स्थिति की समीक्षा की और इससे निपटने के लिए तैयार की गई रणनीति की जानकारी प्राप्त की।
कलेक्टर ने बताया कि जिले में पिछले दस वर्षों की तुलना में इस वर्ष सबसे कम वर्षा हुई है। इस वर्ष माह जुलाई अंत तक 108.1 मि.मी. और 15 अगस्त तक 105.4 मि.मी. तथा उसके पश्चात 228 मि.मी. कुल 441.5 मि.मी. वर्षा हुई है। अल्प वर्षा के कारण जिले का भू- जल स्तर तेजी से नीचे गिर रहा है। कम वर्षा के कारण जिले में सिंचाई तालाबों में भी बहुत कम पानी एकत्रित हो पाया है।
कोतवाल जलाशय में 38 प्रतिशत और पिलुआ में 39 प्रतिशत ही जल भराव हुआ है। जिले में इस वर्ष 92200 हेक्टेयर में खरीफ बोनी का लक्ष्य रखा गया था। लक्ष्य की तुलना में 75700 हैक्टेयर में बोनी की गई । सूखे की स्थिति में वोया गया क्षेत्रफल से 67 हजार हेक्टेयर में ही फसल जीवितता का अनुमान है।
जिले के कुल 12733 हैण्ड पंप में से 12484 चालू है। इसी प्रकार 144 नल जल योजनाओं में से विभिन्न कारणों से 75 बंद है। हैण्ड पंपों के सुधार का कार्य निरंतर जारी है। पेयजल समस्या वाले ग्रामों में 88 नये हैण्ड पंप खनन कराये गये। पेयजल समस्या से निपटने के लिए सूखा राहत की 10 करोड 69 लाख 55 हजार रूपये की कार्य योजना राज्य शासन को प्रेषित की गई है।
कलेक्टर ने बताया कि जिले में 6 लाख से अधिक पशु धन है। जिले में पशुओं के लिए चारे की वर्तमान में कोई समस्या नहीं है। अल्प वर्षा के कारण पशुओं के लिए पेयजल की समस्या ग्रीष्म काल में हो सकती है। पशु उपचार पर अगले तीन माह में तीन लाख रूपये का व्यय होना संभावित है।
जिले में जरूरत मंद लोंगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम के अंतर्गत समयवद्ध कार्यक्रम बनाया गया है। योजना के अंतर्गत 14 करोड़ रूपये की राशि उपलब्ध है। सूखे की स्थिति से निपटने के लिए 64 करोड़ रूपये की कार्य योजना तैयार कर भेजी गई है।
केन्द्रीय अध्ययन दल के सदस्यों को नौगांव के ग्रामीणों ने बताया कि पिछले सात आठ साल से वे सूखे की चपेट में हैं। इस वर्ष सबसे कम वर्षा हुई है। इस कारण जहां फसल प्रभावित हुई है, वहीं पशुओं के लिए पानी और चारे की भी किल्लत है। खेतों की नमी बनी रहने पर ही रवी में सरसों- चना की फसल हो सकती है। केन्द्रीय अध्ययन दल के सदस्यों को ग्राम सिलगिला में ग्रामीणों ने बताया कि खरीफ की फसल तो पूरी तरह से नष्ट हो गई है। अगले कुछ दिनों में वर्षा होने पर ही रवी की फसल की आशा है। गांव में पीने के पानी के लिए तीन हैण्ड पंप है, जिनमें से दो का पानी खारा होने के कारण पीने योग्य नहीं है।
केन्द्रीय अध्ययन दल के सदस्यों ने ग्राम सवदलपुर में कुआं और तालाब का निरीक्षण कर जल संग्रहण की स्थिति का जायजा लिया। ग्रामीणों ने बताया कि भूमि का जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों के भ्रमण के बाद केन्द्रीय अध्ययन दल के सदस्यों ने जिले के अधिकारियों के साथ सूखा की स्थिति की समीक्षा की और इससे निपटने के लिए तैयार की गई रणनीति की जानकारी प्राप्त की।
कलेक्टर ने बताया कि जिले में पिछले दस वर्षों की तुलना में इस वर्ष सबसे कम वर्षा हुई है। इस वर्ष माह जुलाई अंत तक 108.1 मि.मी. और 15 अगस्त तक 105.4 मि.मी. तथा उसके पश्चात 228 मि.मी. कुल 441.5 मि.मी. वर्षा हुई है। अल्प वर्षा के कारण जिले का भू- जल स्तर तेजी से नीचे गिर रहा है। कम वर्षा के कारण जिले में सिंचाई तालाबों में भी बहुत कम पानी एकत्रित हो पाया है।
कोतवाल जलाशय में 38 प्रतिशत और पिलुआ में 39 प्रतिशत ही जल भराव हुआ है। जिले में इस वर्ष 92200 हेक्टेयर में खरीफ बोनी का लक्ष्य रखा गया था। लक्ष्य की तुलना में 75700 हैक्टेयर में बोनी की गई । सूखे की स्थिति में वोया गया क्षेत्रफल से 67 हजार हेक्टेयर में ही फसल जीवितता का अनुमान है।
जिले के कुल 12733 हैण्ड पंप में से 12484 चालू है। इसी प्रकार 144 नल जल योजनाओं में से विभिन्न कारणों से 75 बंद है। हैण्ड पंपों के सुधार का कार्य निरंतर जारी है। पेयजल समस्या वाले ग्रामों में 88 नये हैण्ड पंप खनन कराये गये। पेयजल समस्या से निपटने के लिए सूखा राहत की 10 करोड 69 लाख 55 हजार रूपये की कार्य योजना राज्य शासन को प्रेषित की गई है।
कलेक्टर ने बताया कि जिले में 6 लाख से अधिक पशु धन है। जिले में पशुओं के लिए चारे की वर्तमान में कोई समस्या नहीं है। अल्प वर्षा के कारण पशुओं के लिए पेयजल की समस्या ग्रीष्म काल में हो सकती है। पशु उपचार पर अगले तीन माह में तीन लाख रूपये का व्यय होना संभावित है।
जिले में जरूरत मंद लोंगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम के अंतर्गत समयवद्ध कार्यक्रम बनाया गया है। योजना के अंतर्गत 14 करोड़ रूपये की राशि उपलब्ध है। सूखे की स्थिति से निपटने के लिए 64 करोड़ रूपये की कार्य योजना तैयार कर भेजी गई है।
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